स्वामी राम तीर्थ परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा एक दिवसीय मशरूम उत्पादन कार्यशाला का आयोजन

Uk live
0

 ज्योति डोभाल संपादक 


टिहरी :  हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, स्वामी राम तीर्थ परिसर, बादशाहीथौल (टिहरी गढ़वाल) के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा मशरूम उत्पादन पर एक दिवसीय शैक्षिक कार्यशाला एवं शैक्षिक भ्रमण का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ परिसर निदेशक, प्रोफेसर ए. ए. बौराई, तथा जीव विज्ञान संकाय के डीन, प्रोफेसर एन. के. अग्रवाल, ने विभागाध्यक्ष, डॉ. एल. आर. डंगवाल, के नेतृत्व में किया।

कार्यशाला में 51 विद्यार्थियों ने भाग लिया जिनमें 39 छात्राएँ और 12 छात्र सम्मलित थे। विद्यार्थियों को टिहरी गढ़वाल के डडूर गाँव स्थित “द प्रोजेक्ट मशरूम” का शैक्षिक भ्रमण कराया गया, जहाँ परियोजना के संस्थापकों, श्री प्रकाश उनियाल और श्री सुषांत उनियाल, ने ढींगरी (ओएस्टर) मशरूम की उन्नत खेती पर व्यापक एवं व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया। वर्ष 2017 में दोनों भाइयों ने दिल्ली में अपने सफल करियर को छोड़कर गाँव लौटने का साहसिक निर्णय लिया और मशरूम उत्पादन को एक सफल ग्रामीण उद्यम के रूप में स्थापित किया, जो ग्रामीण युवाओं को रिवर्स पलायन की दिशा में प्रेरित करता है। उनके उत्कृष्ट कार्य और नवाचारपूर्ण प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली, जब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘पीएम-किसान’ की नवें किस्त जारी करने के अवसर पर विभिन्न राज्यों के लाभार्थी किसानों से संवाद के दौरान उनसे बातचीत की और उनके प्रयासों की सराहना की। आज “द प्रोजेक्ट मशरूम” का वार्षिक टर्नओवर 30–35 लाख रुपये है, जिसमें लगभग 15-20 लाख रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त होता है—जो इसे पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि-उद्यमिता का एक सशक्त मॉडल बनाता है।

प्रशिक्षण के दौरान विद्यार्थियों को सब्सट्रेट निर्माण, स्पॉनिंग, इनक्यूबेशन और फलन प्रबंधन जैसे प्रत्येक चरण का प्रत्यक्ष हैंड्स-ऑन प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षकों ने मशरूम की पौष्टिकता, बाज़ार मांग, ग्रामीण स्तर पर इसकी उपयोगिता तथा उद्यमिता संबंधी संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि मशरूम उत्पादन ग्रामीण युवाओं के लिए स्वरोज़गार, स्टार्ट-अप और टिकाऊ जीवनयापन का एक प्रभावी माध्यम बन सकता है तथा पहाड़ी क्षेत्रों में रिवर्स पलायन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कार्यशाला के सफल संचालन में ‘द प्रोजेक्ट मशरूम’ की सहायकों सुश्री शिवानी और सुश्री प्रिया का सहयोग भी सराहनीय रहा।

इस कार्यशाला से विद्यार्थियों ने न केवल मशरूम उत्पादन की तकनीकों में दक्षता प्राप्त की, बल्कि ग्रामीण स्वरोज़गार, कृषि-आधारित उद्यमिता और रिवर्स पलायन की संभावनाओं को भी गहराई से समझा। इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम पर्वतीय क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने तथा स्व–रोज़गार को प्रोत्साहित करने की दिशा में नींव का पत्थर सिद्ध हो सकते हैं। छात्रों ने अनुभव साझा करते हुए बताया कि इस कार्यशाला ने उनके कौशल, आत्मविश्वास और व्यवसायिक दृष्टि में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

कार्यक्रम में वनस्पति विज्ञान विभाग के अन्य अध्यापक—डॉ. प्रमोद उनियाल, डॉ. पिया रॉय चौधरी और डॉ. प्रियंका उनियाल—साथ ही आलोक कुमार, विराट कुमार, आयुषी, सत्यम तिवारी, दिया एवं सभी छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। विभाग द्वारा आयोजित यह पहल विद्यार्थियों के व्यावहारिक ज्ञान, कौशल-विकास और उद्यमिता क्षमता को सशक्त बनाने की दिशा में एक सराहनीय कदम सिद्ध हुई।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)
Uk live चेनल / ब्लॉग उत्तराखण्ड के साथ साथ अन्य राज्यों के लोगों की मूलभूत समस्याओं को उठाने के लिए…
To Top