पीएम आवास योजना का लाभ लेने के चक्कर में ग्रामीण दस्तावेजों में उलझे.

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वीरेंद्र सिंह नेगी 



देशभर में पीएम आवास योजना को अब सरकारी सिस्टम ने उलझा दिया है. पीएम आवास योजना केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है और अब अत्यधिक दास्तावेज मांगने की वजह से सीधे साधे ग्रामीणों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।एक तरफ देशभर में पेपरलेस सिस्टम चल रहा है और दूसरी तरफ लाभार्थियों से आफलाईन दास्तावेज मा़गे जा रहे हैं।


इससे पहले इस योजना के लिए लाभार्थियों के मूल पहचान पत्र मांगे जा रहे थे लेकिन अब फार्मूला बिल्कुल बदल दिया गया जिससे वह दास्तावेज मांगे जा रहे हैं जिनका मूल रूप से इस योजना के अंतर्गत नहीं आंतें हैं.लाभार्थी सवाल उठा रहे हैं कि मकान मायके में बनना है और रिपोर्ट ससुराल की मांगी जा रही जिससे अब उलझन बढ गई है।



विकासखण्ड नौगांव की बात करें तो आजकल सैकड़ों ग्रामीण बाजारों की तरफ निकल पड़े हैं और बैरगं घर लौट रहे हैं कहीं आधार सेटंर बंद है तो कहीं पटवारी चौकी पर नहीं और कहीं सिस्टम में तकनीकी खराबी.

ऐसे में अब केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी पीएम आवास योजना अब सवालों के घेरे में है वह इसलिए कि जब मूल कागज आनलाइन सर्वे में भेजे गये तो फिर से ऐसे कागज क्यों मांगें जा रहे हैं कि जिनका मूल आवेदन से कोई लेना देना नहीं है.गांव के सीधे और भोले ग्रामीणों को विकासखण्ड स्तर के कर्मचारियों ने भ्रम में डाल दिया है।



आखिर शिविर लगाकर लोगों की समस्याओं का समाधान क्यों नहीं किया जा रहा है और वह सरकार का शासनादेश कहां है जिसपर यह तमाम जानकारियां हैं.केंद्र सरकार और जिले और विकासखण्ड स्तर के अधिकारियों को जनता यह संदेश चाह रही है कि आखिर सही जानकारी के लिए कौन सी गाईड लाईन है और क्यों नहीं दी जा रही सही जानकारी?

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