मुख्यमंत्री ने किया पर्यटन एवं आतिथ्य सम्मेलन का शुभारम्भ

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 देहरादून : मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को जीएमएस रोड, स्थित एक होटल में पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित पर्यटन एवं आतिथ्य सम्मेलन-2022 का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन गतिविधियों पर आधारित वीडियो एवं थीम तथा चारधाम पैदल मार्ग के सर्वेक्षण पर आधारित डोक्यूमेंटरी का विमोचन भी किया। मुख्यमंत्री ने मोटरहोम एडवेंचर्स के सहयोग से प्रदेश में  कारवां टूरिज्म को बढावा देने के लिये तैयार की गई कारवां/मोटरहोम का निरीक्षण भी किया। बताया गया कि कारवां टूरिज्म द्वारा पर्यटकों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए पॉलिसी बनाने पर काम किया जा रहा है। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। इस संभावनाओं के दृष्टिगत इस तरह के आयोजन समय-समय पर होने चाहिए। राज्य के लिए पर्यटन उद्योग रीढ़ की हड्ड़ी के समान है। प्रदेश की एक बड़ी जनसंख्या पर्यटन  पर आश्रित है। सरकार राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पूर्ण रूप से संकल्पित है।मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना की वजह से पिछले दो साल में सभी क्षेत्रों में लोगों को समस्याओं से जूझना पड़ा। कोरोना की वजह से लगभग सभी क्षेत्रों में लोगों के कार्य प्रभावित हुए। कोरोना काल में सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों को राहत देने का कार्य किया गया। उन्होंने कहा कि इस बार प्रदेश में चारधाम यात्रा में लाखों श्रद्धालुओं के आने की सम्भावनाएं हैं। यह हमारे लिए चुनौती भी होगी। हमारा प्रयास है कि देवभूमि उत्तराखण्ड आने वाले श्रद्धालुओं को प्रदेश में सभी सुविधाएं उपलब्ध हों। अतिथि देवो भवः उत्तराखण्ड की परम्परा रही है। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में उत्तराखण्ड तेजी से विकास की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री  ने नवम्बर 2021 में श्री केदारनाथ में कहा कि यह दशक उत्तराखण्ड का दशक होगा। अभी तक जितने श्रद्धालु उत्तराखण्ड में आये हैं, उससे कई गुना अधिक श्रद्धालु आने वाले दस वर्षों में देवभूमि उत्तराखण्ड आयेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2025 में जब हम उत्तराखण्ड राज्य की रजत जयंती मनाएंगे, उस समय उत्तराखण्ड हर क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में होगा। उत्तराखण्ड को अग्रणी राज्य बनाने में उत्तराखण्ड की जनता की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। हमें अपने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश हर क्षेत्र में आगे बढ़ा रहा है। सड़क, हवाई एवं रेल मार्गों का राज्य में तेजी से विस्तार हो रहा है। उद्योगों का रूझान राज्य की ओर तेजी से बढ़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटन उत्तराखण्ड के मूल में है। पर्यटन की अनेक गतिविधियों के लिए उत्तराखण्ड में परिस्थितियां अनुकूल हैं।


पर्यटन मंत्री  सतपाल महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी का प्रयास है कि उत्तराखण्ड सेवा उपलब्ध कराने (सर्विस प्रोवाइडर) वाला राज्य बने। उत्तराखण्ड में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिले इसके लिए सरकार कार्य कर रही है। उत्तराखण्ड में चारधाम तो आस्था के प्रमुख केन्द्र हैं ही, साथ ही राज्य सरकार का प्रयास है कि उत्तराखण्ड के अन्य क्षेत्रों में भी श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को आकर्षित किया जाय। उत्तराखण्ड में अनेक पौराणिक स्थल एवं मंदिर हैं। पर्यटन आधारित गतिविधियों में भी उत्तराखण्ड में अनेक संभावनाएं हैं। पर्यटन मंत्री ने कार्याशाला में प्रतिभाग कर रहे विभिन्न क्षेत्रों के महानुभवों से अनुरोध किया कि राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अपने सुझाव अवश्य दें। 

विधायक विनोद चमोली ने कहा कि राज्य की आर्थिकी में पर्यटन क्षेत्र महत्वपूर्ण है। धार्मिक पर्यटन के साथ ही उत्तराखण्ड में साहसिक पर्यटन में अनेक संभावनाएं हैं। 


इस अवसर पर सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष  पंकज गुप्ता, चैम्बर ऑफ कॉमर्स, फिक्की एवं पर्यटन से जुड़े पदाधिकारी मौजूद थे।

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  1. 🌹 जय देव भूमि उत्तराखंड🌹
    प्रश्न संस्कृति का और पीड़ा समाज की
    आम नागरिकों के सहायता के नाम से अनेकों योजनाएं धरातल पर केंद्र या राज्य के नाम से चलाई जाती हैंl लेकिन कुछ तो कागजों में ही पूरी हो जाती है, और कुछ का पता ही नहीं विभागों द्वारा दिया जाता है, और कुछ धरातल पर पहुंच भी पाई तो उसमें गुणवत्ता देखने में नजर नहीं आती है, आम नागरिकों को लाभ देने के नाम से योजनाएं तो चलाई जाती हैं l लेकिन उसमें लूट पात का मामला सबसे अत्यधिक देखने में नजर आता है, जिसमें ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार के इस खेल को खेलने में नजर आते हैं, हर एक कर्मचारी हो यार राजनेता शासन हो या प्रशासन के लोग ही आपस में इस चैन में जुड़े हुए हैं, और आम जनता को लाभ देने के नाम से योजनाएं तैयार की जाती है, और उन्हीं योजनाओं के माध्यम से खूब पैसा बटोला जा रहा है, लेकिन आप नागरिक को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है, और यदि मिलता भी है, तो उसकी गुणवत्ता घटिया किस्म की होती है, जिससे कुछ समय बाद आम नागरिक को परेशानी के सिवा कुछ भी हासिल नहीं होता हैl आम नागरिकों को लाभ देने के नाम पर भ्रष्टाचारी का बहुत भयानक खेल खेला जा रहा हैl और अत्यधिक कई विभाग में इस खेल की सीमा अत्यधिक मात्रा में है,
    आम नागरिक को तो बीच में सिर्फ माध्यम बनाया जाता है, लेकिन हकीकत में उसका पात्र कोई और ही नजर आता है l समय के रहते यदि इस खेल को बंद नहीं किया गया तो आने वाले समय में इसके परिणाम घातक हो सकते हैंl जनता के लिए भी और राजनीतिक विशेषज्ञों के लिए भी l जनता का विश्वास सरकार हो या राजनेता या अधिकारी के प्रति दिन प्रतिदिन खत्म होता हुआ नजर आ रहा हैl जो कि एक बहुत बड़ा चिंताजनक विषय हैl और सबसे बड़ा चिंताजनक विषय यह है, कि आम नागरिकों के नाम पर आ रही योजनाओं पर ही क्यों लूट पात का यह खेल खेला जाता हैl और आज तक यह खेल क्यों लगातार खेला जा रहा है, और क्यों इस पर अमल नहीं किया जा रहा हैl या फिर जनता का बेवकूफ बनाया जा रहा हैl ऐसे अनेकों सवाल उठते हैं, प्रश्न संस्कृति से और समाज की पीड़ा को देखते हुए, आखिर कब तक देवभूमि उत्तराखंड में ऐसा देखने में नजर आएगा l आखिर कब शासन-प्रशासन और राजनेता अपनी इस हरकतों से बाहर निकल पाएंगे, और कब आम नागरिक को वास्तविक लाभ मिल पाएगा, और कब वास्तविक पात्र को वास्तविकता का लाभ मिल पाएगा, ऐसे अनेकों प्रश्न उठते हैं समाज की हालत को देखते हुए, और केंद्र से लेकर राज्य की योजनाओं खोजो आम नागरिकों की लिए चलाई जाती हैl उसको देखते हुए, आखिर कब तक इस तरह का खेल समा के साथ खेला जाएगा l ऐसे अनेकों प्रश्न और उनके उत्तर आप सभी के सामने होंगे आने वाले समय में देवभूमि उत्तराखंड प्रश्न संस्कृति का पीड़ा समाज की प्रश्न पुस्तिका अवश्य पढ़ेंl
    समाज सेवक देवभूमि उत्तराखंड
    8958779824

    जवाब देंहटाएं
  2. �� जय देव भूमि उत्तराखंड��
    प्रश्न संस्कृति का और पीड़ा समाज की
    आम नागरिकों के सहायता के नाम से अनेकों योजनाएं धरातल पर केंद्र या राज्य के नाम से चलाई जाती हैंl लेकिन कुछ तो कागजों में ही पूरी हो जाती है, और कुछ का पता ही नहीं विभागों द्वारा दिया जाता है, और कुछ धरातल पर पहुंच भी पाई तो उसमें गुणवत्ता देखने में नजर नहीं आती है, आम नागरिकों को लाभ देने के नाम से योजनाएं तो चलाई जाती हैं l लेकिन उसमें लूट पात का मामला सबसे अत्यधिक देखने में नजर आता है, जिसमें ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार के इस खेल को खेलने में नजर आते हैं, हर एक कर्मचारी हो यार राजनेता शासन हो या प्रशासन के लोग ही आपस में इस चैन में जुड़े हुए हैं, और आम जनता को लाभ देने के नाम से योजनाएं तैयार की जाती है, और उन्हीं योजनाओं के माध्यम से खूब पैसा बटोला जा रहा है, लेकिन आप नागरिक को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है, और यदि मिलता भी है, तो उसकी गुणवत्ता घटिया किस्म की होती है, जिससे कुछ समय बाद आम नागरिक को परेशानी के सिवा कुछ भी हासिल नहीं होता हैl आम नागरिकों को लाभ देने के नाम पर भ्रष्टाचारी का बहुत भयानक खेल खेला जा रहा हैl और अत्यधिक कई विभाग में इस खेल की सीमा अत्यधिक मात्रा में है,
    आम नागरिक को तो बीच में सिर्फ माध्यम बनाया जाता है, लेकिन हकीकत में उसका पात्र कोई और ही नजर आता है l समय के रहते यदि इस खेल को बंद नहीं किया गया तो आने वाले समय में इसके परिणाम घातक हो सकते हैंl जनता के लिए भी और राजनीतिक विशेषज्ञों के लिए भी l जनता का विश्वास सरकार हो या राजनेता या अधिकारी के प्रति दिन प्रतिदिन खत्म होता हुआ नजर आ रहा हैl जो कि एक बहुत बड़ा चिंताजनक विषय हैl और सबसे बड़ा चिंताजनक विषय यह है, कि आम नागरिकों के नाम पर आ रही योजनाओं पर ही क्यों लूट पात का यह खेल खेला जाता हैl और आज तक यह खेल क्यों लगातार खेला जा रहा है, और क्यों इस पर अमल नहीं किया जा रहा हैl या फिर जनता का बेवकूफ बनाया जा रहा हैl ऐसे अनेकों सवाल उठते हैं, प्रश्न संस्कृति से और समाज की पीड़ा को देखते हुए, आखिर कब तक देवभूमि उत्तराखंड में ऐसा देखने में नजर आएगा l आखिर कब शासन-प्रशासन और राजनेता अपनी इस हरकतों से बाहर निकल पाएंगे, और कब आम नागरिक को वास्तविक लाभ मिल पाएगा, और कब वास्तविक पात्र को वास्तविकता का लाभ मिल पाएगा, ऐसे अनेकों प्रश्न उठते हैं समाज की हालत को देखते हुए, और केंद्र से लेकर राज्य की योजनाओं खोजो आम नागरिकों की लिए चलाई जाती हैl उसको देखते हुए, आखिर कब तक इस तरह का खेल समा के साथ खेला जाएगा l ऐसे अनेकों प्रश्न और उनके उत्तर आप सभी के सामने होंगे आने वाले समय में देवभूमि उत्तराखंड प्रश्न संस्कृति का पीड़ा समाज की प्रश्न पुस्तिका अवश्य पढ़ेंl
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    8958779824

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    आम नागरिकों के सहायता के नाम से अनेकों योजनाएं धरातल पर केंद्र या राज्य के नाम से चलाई जाती हैंl लेकिन कुछ तो कागजों में ही पूरी हो जाती है, और कुछ का पता ही नहीं विभागों द्वारा दिया जाता है, और कुछ धरातल पर पहुंच भी पाई तो उसमें गुणवत्ता देखने में नजर नहीं आती है, आम नागरिकों को लाभ देने के नाम से योजनाएं तो चलाई जाती हैं l लेकिन उसमें लूट पात का मामला सबसे अत्यधिक देखने में नजर आता है, जिसमें ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार के इस खेल को खेलने में नजर आते हैं, हर एक कर्मचारी हो यार राजनेता शासन हो या प्रशासन के लोग ही आपस में इस चैन में जुड़े हुए हैं, और आम जनता को लाभ देने के नाम से योजनाएं तैयार की जाती है, और उन्हीं योजनाओं के माध्यम से खूब पैसा बटोला जा रहा है, लेकिन आप नागरिक को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है, और यदि मिलता भी है, तो उसकी गुणवत्ता घटिया किस्म की होती है, जिससे कुछ समय बाद आम नागरिक को परेशानी के सिवा कुछ भी हासिल नहीं होता हैl आम नागरिकों को लाभ देने के नाम पर भ्रष्टाचारी का बहुत भयानक खेल खेला जा रहा हैl और अत्यधिक कई विभाग में इस खेल की सीमा अत्यधिक मात्रा में है,
    आम नागरिक को तो बीच में सिर्फ माध्यम बनाया जाता है, लेकिन हकीकत में उसका पात्र कोई और ही नजर आता है l समय के रहते यदि इस खेल को बंद नहीं किया गया तो आने वाले समय में इसके परिणाम घातक हो सकते हैंl जनता के लिए भी और राजनीतिक विशेषज्ञों के लिए भी l जनता का विश्वास सरकार हो या राजनेता या अधिकारी के प्रति दिन प्रतिदिन खत्म होता हुआ नजर आ रहा हैl जो कि एक बहुत बड़ा चिंताजनक विषय हैl और सबसे बड़ा चिंताजनक विषय यह है, कि आम नागरिकों के नाम पर आ रही योजनाओं पर ही क्यों लूट पात का यह खेल खेला जाता हैl और आज तक यह खेल क्यों लगातार खेला जा रहा है, और क्यों इस पर अमल नहीं किया जा रहा हैl या फिर जनता का बेवकूफ बनाया जा रहा हैl ऐसे अनेकों सवाल उठते हैं, प्रश्न संस्कृति से और समाज की पीड़ा को देखते हुए, आखिर कब तक देवभूमि उत्तराखंड में ऐसा देखने में नजर आएगा l आखिर कब शासन-प्रशासन और राजनेता अपनी इस हरकतों से बाहर निकल पाएंगे, और कब आम नागरिक को वास्तविक लाभ मिल पाएगा, और कब वास्तविक पात्र को वास्तविकता का लाभ मिल पाएगा, ऐसे अनेकों प्रश्न उठते हैं समाज की हालत को देखते हुए, और केंद्र से लेकर राज्य की योजनाओं खोजो आम नागरिकों की लिए चलाई जाती हैl उसको देखते हुए, आखिर कब तक इस तरह का खेल समा के साथ खेला जाएगा l ऐसे अनेकों प्रश्न और उनके उत्तर आप सभी के सामने होंगे आने वाले समय में देवभूमि उत्तराखंड प्रश्न संस्कृति का पीड़ा समाज की प्रश्न पुस्तिका अवश्य पढ़ेंl
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    आम नागरिक को तो बीच में सिर्फ माध्यम बनाया जाता है, लेकिन हकीकत में उसका पात्र कोई और ही नजर आता है l समय के रहते यदि इस खेल को बंद नहीं किया गया तो आने वाले समय में इसके परिणाम घातक हो सकते हैंl जनता के लिए भी और राजनीतिक विशेषज्ञों के लिए भी l जनता का विश्वास सरकार हो या राजनेता या अधिकारी के प्रति दिन प्रतिदिन खत्म होता हुआ नजर आ रहा हैl जो कि एक बहुत बड़ा चिंताजनक विषय हैl और सबसे बड़ा चिंताजनक विषय यह है, कि आम नागरिकों के नाम पर आ रही योजनाओं पर ही क्यों लूट पात का यह खेल खेला जाता हैl और आज तक यह खेल क्यों लगातार खेला जा रहा है, और क्यों इस पर अमल नहीं किया जा रहा हैl या फिर जनता का बेवकूफ बनाया जा रहा हैl ऐसे अनेकों सवाल उठते हैं, प्रश्न संस्कृति से और समाज की पीड़ा को देखते हुए, आखिर कब तक देवभूमि उत्तराखंड में ऐसा देखने में नजर आएगा l आखिर कब शासन-प्रशासन और राजनेता अपनी इस हरकतों से बाहर निकल पाएंगे, और कब आम नागरिक को वास्तविक लाभ मिल पाएगा, और कब वास्तविक पात्र को वास्तविकता का लाभ मिल पाएगा, ऐसे अनेकों प्रश्न उठते हैं समाज की हालत को देखते हुए, और केंद्र से लेकर राज्य की योजनाओं खोजो आम नागरिकों की लिए चलाई जाती हैl उसको देखते हुए, आखिर कब तक इस तरह का खेल समा के साथ खेला जाएगा l ऐसे अनेकों प्रश्न और उनके उत्तर आप सभी के सामने होंगे आने वाले समय में देवभूमि उत्तराखंड प्रश्न संस्कृति का पीड़ा समाज की प्रश्न पुस्तिका अवश्य पढ़ेंl
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