Team uklive
टिहरी : आप सभी घण्टाकर्ण भक्तों को अवगत कराते हुये हर्ष हो रहा है कि हमारे घण्टाकर्ण मन्दिर मे आज से लगभग 130 साल पहले जिस माणी(परोठी) मे घण्टाकर्ण की भक्ति मे लीन स्वर्गीय तुला राम बिजल्वाण जी नित्य दीपक जलाने के लिये क्वीली पट्टी के गाव-गाव से तेल इकठ्ठा किया करते थे। और उस समाज से एकत्र किये गये तेल से घण्टाकर्ण मन्दिर मे दीपक जलाया करते थे। ताकि घण्टाकर्ण की कृपा समस्त जनमानस पर बनी रहे। इसी सोच के साथ घर-घर से तेल एकत्र किया जाता था। ताकि सभी की सहभागिता से मन्दिर मे दीपक जलाने का कार्य सुचारु रूप से चल सके। आप को बता दे की स्वर्गीय तुला राम बिजल्वाण ने अपने पूरे जीवन काल मे अपना पूरा जीवन घण्टाकर्ण को समर्पित किया हुआ था। एक बार की बात है कि घण्टाकर्ण के वाहन शेर के पाव मे एक बार बांज की छील यानी कि बाज की पैनी लकडी घुस गयी थी और तब भगवान घण्टाकर्ण अपने पुजारी स्वर्गीय तुला राम बिजल्वाण के सपने अर्धरात्रि को आये और नाम लेकर बोले कि हे तुला राम तू सो रखा है । मेरे शेर के पाव मे काटा चुभ गया है। वह घायल हो रखा है। मै नहाने कैसे जाऊगा। इतना स्वप्न मे सुनते ही तुला राम बिजल्वाण जी की नीद टूटती है। और वह उठ खड़े होते है। घर से बाहर आते है तो देखते है की घनाघोर रात्रि का समय है। लेकिन वह घण्टाकर्ण की भक्ति मे इतने ड़ूबे हुये थे की उन्होने स्वप्न की बात को ध्यान कर के अर्धरात्रि को ही घण्टाकर्ण मन्दिर जाने का निर्णय कर दिया और शंख, घंटी को बजाते-बजाते सीधे मन्दिर को चल पडे। रात्रि के समय ही पुरा रास्ता तय कर के मन्दिर पहुच गये।मन्दिर मे पहुचे तो वहा सुन-सान था उनको वहा कुछ नही दिखा। जब उनको वहा कोई आहट मह्सूस नही हुई तो फिर वह वही मन्दिर मे बैठे ही थे कि रास्ते पर इतनी दूर चलने से लगी थकान के कारण उनको मन्दिर मे नीद आ गयी। नीद आते ही उनको फिर से सपना आता है और नाम के साथ घण्टाकर्ण पुकारते है की हे तुला मेरे वाहन यहा आ रहा है तू डरना मत तेरे साथ मै हूँ , उसके पाव से काटा निकाल लेना और सुबह घर जाते समय रास्ते मे बाई तरफ देख के जाना. इतने मे उनकी नीद खुलती है फिर वह वही मन्दिर के अंदर उठ के बैठ जाते है। इतने देर मे शेर की गर्जना की आवाज आती है और शेर मन्दिर के चारो और घूम के परिक्रमा करता है और फिर मन्दिर पर बने हवाघर (ब्युला)(आज की भाषा मे खिडकी)से पाव मन्दिर के अंदर डालता है शेर के पाव को देख के तुला राम जी को उसमे बाज की लकडी घुसी दिखाई देती है
तो वह उसको हाथ से खीचते है लेकिन वह लकडी निकलती नही है फिर तुला राम जी उसको दात से पकड के खीचते है तो उसके बाद शेर पाव बाहर खीच लेता है और गर्जना करते हुये मन्दिर से निचे चला जाता है देवता के स्वप्न मे दिये गये आदेश के अनुसार स्वर्गीय तुला राम बिजल्वाण रात्रि के खुलने बाद अपने घर बमण गाव के लिये प्रस्थान करते है और पुरे रास्ते बाई तरफ देखते हुये चलते है तो आधा रास्ता तय करने के बाद उनको बन मृग बारह सीघा मरा हुवा मिलता है। यह सत प्रतिशत सत्य घटना है। आज भी हर बुजर्ग की जबान से आपको यह सुनने को मिल सक्ता है.
क्वीली पट्टी के गाव के, आप को बता दे की इनके पुत्र स्वर्गीय मणी राम बिजल्वाण जी थे जो 45 साल तक बमण गाव के प्रधान रहे है इनपर घण्टाकर्ण की कृपा बनी रही। घण्टाकर्ण की कृपा से इन्होने काफी वैभव प्राप्त किया। इनके पुत्र और स्वर्गीय तुला राम जी के पौत्र श्री राजेन्द्र प्रसाद बिजल्वाण जी के द्वारा अपनी पौराणिक धरोहर घण्टाकर्ण के दीपक जलाने हेतू तेल ले जाने वाली परोठी घण्टाकर्ण मन्दिर को अर्पित की गयी है।
अब इस पौराणिक धरोहर को घण्टाकर्ण मन्दिर धाम मे प्रयुक्त किया जायेगा।




