ज्योति डोभाल (संपादक )
पंचायत जनाधिकार मंच के संस्थापक संयोजक जोत सिंह बिष्ट में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि पंचायत चुनाव के पहले चरण का चुनाव प्रचार आज थम गया है। कल सभी प्रत्याशी जिनका मतदान 5 नवंबर को है अपने-अपने क्षेत्र में प्रबंधन में व्यस्त रहेंगे। लेकिन कुछ ऐसे प्रत्याशी जो सत्ताधारी पार्टी के रसूख का लाभ लेकर चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे प्रत्याशी जिनके पास अकूत धन संपदा है लेकिन विगत जीवन में उनका राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में कोई योगदान नहीं है, कुछ ऐसे प्रत्याशी जो गलत संसाधनों का उपयोग करेंगे और मतदान को प्रभावित करेंगे ऐसा होने पर वह लोग जो पंचायत को समझते हैं, जिनका राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र का पिछला अनुभव है, जो सुशिक्षित प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं, लेकिन संसाधनों के अभाव में भारी संसाधन युक्त प्रत्याशियों के सामने कमजोर पड़ रहे हैं, के प्रति राज्य के जागरूक मतदाता को समय पर सचेत करते हुए योग्य प्रत्याशी को चुनने में भागीदार बने।
अगर पंचायत चुनाव में मतदाता समझदारी से काम लेकर केवल चुनाव के एक सप्ताह के प्रलोभन में न फंसे तो निश्चित रूप से जातिवाद, क्षेत्रवाद, भेड़ावाद, खोलावाद, मुहल्ला वाद या पंचायत चुनाव में चलने वाले और कई किस्म के वाद में नहीं फंस कर दलगत भावना से ऊपर उठकर मतदान करेंगे। ऐसा होने की दशा में पंचायतों में योग्य लोग चुनकर आएंगे।
राज्य की वर्तमान सरकार ने विगत ढाई वर्ष के अपने कार्यकाल में पंचायतों को प्रयोगशाला बना कर रख दिया है। सरकार ने पंचायत चुनाव समय पर कराने के बजाए पहले पंचायतों को प्रशासकों के हवाले किया, उसके बाद परिसीमन में हेराफेरी करने के बाद आरक्षण में भी बहुत सारी गड़बड़ियां करके अपनी पार्टी के समर्थित प्रत्याशियों को लाभ पहुंचाने के लिए सारे नियम और मानदंड ताक पर रख दिए हैं। जिस कारण देश में उत्तराखंड पहला राज्य है जिसमें एक पंचायत राज एक्ट से संचालित होने वाली राज्य की तीन स्तर की पंचायतों में चुनाव अलग-अलग प्रणाली से हो रहे हैं।
ग्राम प्रधान एवं ग्राम पंचायत सदस्य में वह सभी लोग चुनाव लड़ने में भागीदार हैं जिनके दो से अधिक बच्चे हैं लेकिन क्षेत्र पंचायत सदस्य एवं जिला पंचायत सदस्य में दो से अधिक बच्चे वाले चुनाव में भागीदारी नहीं कर पा रहे। राज्य सरकार को जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर पंचायतों में अनुभवी एवं जानकार लोगों को चुनाव से बाहर करने की तो बड़ी चिंता रही, लेकिन पंचायत के चुनाव समय पर करने की जिम्मेदारी नही निभाई। पंचायत में सुयोग्य प्रतिनिधि चुनकर आए, पंचायतों को विकास कार्यो के लिए पर्याप्त बजट मिले, पंचायत प्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र में काम करने के लिए पर्याप्त संसाधन मिले, इस पर सरकार ने अपने ढाई साल के कार्यकाल में एक बार भी नहीं सोचा।
मैं कह सकता हूं कि राज्य की वर्तमान भाजपा सरकार पूर्ण रूप से पंचायत विरोधी सरकार है। राज्य की भाजपा सरकार पंचायतों को कमजोर करने वाली सरकार है। इसलिए पंचायत को कमजोर करने वाली पंचायत विरोधी सरकार ने जिन लोगों को पंचायत चुनाव में अपने प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतारा है, उत्तराखंड का समझदार मतदाता 5 अक्टूबर को पहले चरण के मतदान से ही उन सब लोगों को सबक सिखाने का काम करेगा। आप लोग अपने क्षेत्र से योग्य उम्मीदवारों को ही चुनें, भले ही वह संसाधन विहीन हो। आपका यह कदम देवभूमि में पंचायतों के सशक्तीकरण में भागीदार बनेगा।
मेरी सभी मतदाता भाइयों बहनों से अपील है कि जैसे हम लोग पंचायत जनाधिकार मंच के माध्यम से बिना किसी स्वार्थ के केवल और केवल राज्य की पंचायतों के सशक्तीकरण के लिये संघर्ष कर रहे हैं वैसे ही आप से भी एक जागरूक एवं जिम्मेदार मतदाता के रूप में अपेक्षा करते है, आग्रह करते हैं कि आप लोग भी इस बार अपने मत का दान योग्य प्रतिनिधि को कीजिये।
तभी पंचायते सशक्त होंगी, और आपके क्षेत्र के विकास में आपकी भागीदारी सुनिश्चित होगी।
Team uk live