जिले का एक ऐसा गाँव जंहा आज भी ग्रामीणों को अपने पुस्तैनी गाँव जाने के लिए प्रशासन से परमिशन लेनी पडती है

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वीरेंद्र नेगी 




उत्तरकाशी : उत्तरकाशी जिले के सुदूरवर्ती सीमांत में बसा एक छोटा गांव. जंहा ग्रामीणों को अपने गाँव जाने के लिए प्रशासन द्वारा परमिशन लेना पड़ता है. इस गाँव का नाम है नेलांग व् जादूंग गाँव. 1962 में भारत -चीन युद्ध के दौरान इस गाँव के ग्रामीणों को नेलांग व् जादूंग गाँव से सुरक्षा कि दृष्टि से इन ग्रामीणों को इनके गाँव से हटा दिया गया था. अभी तक इन ग्रामीणों को इनके पुस्तैनी गाँव में नहीं भेजा गया. ग्रामीण अपने गाँव को  फिर से बसाने के लिए प्रशासन से कई वर्षो से मांग कर रहे है. 


  1962 के युद्ध को अब लगभग  60 वर्ष हो चुके है. अभी भी इन ग्रामीणों को अपने पुस्तैनी घर जाने पर रोक लगी हुई है. ये ग्रामीण हर साल दो जून को नेलांग व् जादूंग अपने गाँव अपने देवी देवताओ को पूजने के लिए जाते है. देवी देवताओ को पूजने के लिए अपने गाँव जाने के लिए उत्तरकाशी प्रशासन से परमिशन ले कर जाना पड़ता है. 


अब इन ग्रामीणों कि मांग है कि इन्हे अपना गाँव नेलांग व् जादूंग प्रशासन इन्हे सौंप दे. इनके गाँवों में भारतीय सेना का अभी तक अधिकार है.इस संबंध में इन ग्रामीणों ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है.  इन ग्रामीणों कि प्रधानमंत्री से अपील कि है . सेना ने जितने वर्षो तक इनके जमीन का उपयोग किया है उसका किराया दिया जाये. इस गाँव को ग्रामीण पर्यटन व् होम स्टे बनाया जाय. दूरसंचार व् परिवहन कि सुविधा दी जाये. साथ ही इन ग्रामीणों को भारत सरकार द्वारा इन लोगो को रोजगार दी जाय. 



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