चायना मे टिहरी का नाम रोशन करने वाले देव रतूड़ी से खास बातचीत
गरीब परिवार मे जन्मे देव रतूड़ी का जीवन काफी संघर्षशील रहा है.
हम बात कर रहे हैं चायना फिल्मो एवं धारावाहिको मे कई अहम किरदार निभाने वाले एवं सामाजिक कार्यों मे बढ़ चढ़कर भाग लेने वाले देव रतूड़ी की.
बातचीत मे देव रतूड़ी ने बताया कि पिछले सत्रह साल से वे चायना मे रह रहे हैं.
उनसे हुई बातचीत के अंश ------
प्रश्न : आपकी शिक्षा दीक्षा कहां हुई?
उत्तर : मेरा बचपन बड़ी गरीबी मे बीता है. दसवीं चमियाला के राजकीय इंटर कॉलेज से 1992 मे किया जिसके बाद हीरो बनने के लिए दिल्ली चला गया.
प्रश्न : हीरो बनने का सपना आपको दिल्ली ले गया वहां किस तरह की चुनौतीयां रही?
उत्तर : 1994 मे दिल्ली मे होटल मे नौकरी की उस वक्त तीन सौ पचास रूपये तनख्वाह मिलती थी.
उस समय आर के यादव नाम के ब्यक्ति से संपर्क हुआ जिन्होंने मुझे सात हजार की नौकरी दें दी.
मै मार्शल आर्ट से काफी प्रभावित था इसलिये उस समय चायना के जाने माने हीरो ब्रूसली से काफी प्रभावित था. उनकी फिल्म ड्रेगन देख कर काफी प्रभावित था इसलिए दिल्ली से फिल्मो मे हीरो बनने मुंबई चला गया जहां पर मेरे बड़े भाई रहते थे.
मुंबई मे महाभारत धारावाहिक मे द्रोधन का किरदार निभाने वाले पुनीत इस्सार जी से भाई ने मिलवाया.
फिल्म मे दारा सिंह के बेटे का रोल था.
06 महीने तक मै उनके साथ रहा परन्तु कैमरा फेस करते ही सब गड़बड़ हो जता था. तब पता चला फिल्मो मे देखना और एक्टिंग करने मे कितना अंतर होता है.
1989 मे फिल्म मे काम किया. दोस्ती मे धोखा नाम के टीवी सीरियल मे काम किया जिसके बाद वापस दिल्ली चला गया.
मुंबई मे 06 महीने तक मैने मार्शल आर्ट सीखा.
प्रश्न : आपका चायना आना और फिल्मो मे काम करना कैसे हुआ?
उत्तर : मेरा एक दोस्त था जिसने मुझे चायना जाने की सलाह दी और चायना मे वेटर की नौकरी करने को भेजा. दिल्ली मे मैने इससे पहले होटल मे काम किया और टूटी फूटी अंग्रेजी सीखी जिसके बाद मै टूरिस्ट वीजा पर चायना आ गया.
चायना मे मैने होटल मे काम किया और मार्शल आर्ट के गुर भी दिखाए जिससे चायनीज लोग काफी प्रभावित हुए.
यहां पर लोगों को मार्शल आर्ट इतनी नही आती थी इसलिए वो मुझसे काफी प्रभावित हुए.
प्रश्न : शुरुआत मे कितनी सेलरी पर आपने चायना के होटलों मे काम किया?
उत्तर : 2005 मे मेरी तनख्वाह एक होटल मे पंद्रह हजार थी मेरा होटल मैनेजमेंट का कोर्स नही किया था.
यहां आकर मैने चायनीज भाषा मात्र 06 महीने मे सीख ली जो मेरे काफी काम आई.
मै जर्मन रेस्टोरेंट मे दो साल बाद रेस्टोरेंट मैनेजर की पोस्ट पर आ गया जहां मेरी तनख्वाह सत्तर हजार थी.
तीसरी जॉब ऑस्ट्रेलियन कंपनी मे असिस्टेंट मैनेजर के पद पर की जहां मेरी तनख्वाह एक लाख सत्तर हजार रूपये थी.
मैने रात - दिन एक करके चायनीज और वेस्टरन नॉलेज सीखा जो मेरे काफी काम आया.
इसके बाद चौथी जॉब 2010 मे अमेरिकन रेस्टोरेंट मे जनरल मैनेजर के तौर पर रही जहां मेरी तनख्वाह साढ़े तीन लाख रूपये थी.
2012 के बाद मैने कई देशो की यात्रा की.
प्रश्न : आपने अभी तक कितनी फिल्मो, धारावाहिको मे काम किया है?
उत्तर : लगभग फिल्म और सीरियल मिलाकर बीस से ज्यादा रील मे काम किया है अभी तक आगे काफी प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है.
प्रश्न : वालीवुड फिल्मो मे काम करने की इच्छा है?
उत्तर : हाँ बिल्कुल भारतीय फिल्म इंडस्ट्री मे काम करना चाहता हूँ. 2019 मे मेरे पास इंडियन फिल्म का ऑफर था जिसमे अरबाज खान के साथ मेन लीड रोल मिल रहा था परन्तु कोविड के कारण कैंसिल करना पड़ा.
मेरी जिंदगी पर भी डाइरेक्टर फिल्म बनाना चाहते थे जिस पर आगे काम होगा.
प्रश्न : कितने रेस्टोरेंट अभी तक आपके चायना मे होंगे?
उत्तर : लगभग सात रेस्टोरेंट अम्बर पैलेस के नाम से हमारे द्वारा खोल रखे हैं जिनमे भारतीय संस्कृति को दर्शाया गया है.
यहां के लोगों को भारतीय संस्कृति के बारे मे भी बताया जाता है. अभी सियान मे उत्तराखंड होटल मैनेजमेन्ट कंपनी बनने जा रही है जो गढ़वाल के थीम पर आधारित होगी.
हमने 2013 मे कल्चरल थीम रेस्टोरेंट खोला जिसमे सारे कर्मचारी भारतीय थे. रेस्टोरेंट मे सारे भारतीय त्यौहार मनाये जाते हैं .
आपको बता दू मै प्रत्येक मंगलवार को फास्ट रखता हूँ जिन पैसों को बचाकर मै समाज सेवा के कार्यों मे लगा रहा हूँ.
अभी हमारी कंपनी मे 50-60 लड़के इंडिया से आकर काम कर रहे हैं. कई लड़को को मैने इटली भी अपने खर्चे पर भेजा जितना हो सके उतनी समाजसेवा मै कर रहा हूँ.
दस से ज्यादा मेरी जिंदगी पर डाकुमेंटरी फिल्म बनी हैं अभी तक और यहां की सातवी क्लास की इंग्लिश टेस्ट बुक मे मेरी जिंदगी के बारे मे पढ़ाया जाता है.
प्रश्न : अभी तक कितने अवार्ड आपको मिल चुके होंगे?
उत्तर : कई प्रकार के सरकारी अवार्ड मिले हैं जिनमे Dev RaturiIndian actor Film actor Entrepreneur
Top 10 Indian Business Leaders in China by CEO Insight Magazine
Named the Top 50 Successful Businessman in Uttarakhand by Indian media Hillmail
listed as one of the Top 100 Outstanding Entrepreneurs in Shaanxi by "Western Style People" magazine
Social welfare contributors
Deputy Director, Foreign Affairs Committee, Xi'an Baoji Chamber of Commerce
Member of Silk Road Chamber of Commerce
Cultural Ambassador of India (Cultural stories spread online, on TV and in newspapers)
International Dietetic Consultant ” (Awarded by the Chinese Dietetic Culture Research Association) शामिल है.
प्रश्न : उत्तराखंड के लिए जो आप करना चाहते हैं उस योजना के बारे मे बताइये?
उत्तर : 2019 मे मै दस से बारह इन्वेस्टरो को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मिला था जिसमे हमारी योजना लगभग पांच सौ करोड़ रूपये उत्तराखंड मे लगाने की थी परन्तु कुछ कारणवश ऐसा हो नही पाया परन्तु आगे उत्तराखंड मे बड़े इन्वेस्टमेंट करने की योजना है.
उत्तराखंड की सरकार को चायना की तरह गांव - गांव इतने विकसित करने चाहिए कि सारी सुविधाये गांव मे ही लोगों को मिले तो लोग पलायन ना करके अपने गांव मे ही रहकर काम करेंगे.
चायना की सरकार काफी सपोर्ट करने वाली है यहां मै अपनी भारतीय संस्कृति से लोगों को रूबरू करवाता हूँ. यहां होली, दिवाली पर रेस्टोरेंट एडवांस बुक हो जाते हैं.
इस दिवाली पर पांच सौ लोगों ने रेस्टोरेंट बुक किया था. जो ग्राहक भारतीय कपड़े पहनकर आते है उनको हम बिल पर डिस्काउंट भी देते हैं.
अभी 15 अगस्त को आने वाले कृष्ण जन्मआष्ट्मी पर दो सौ से ज्यादा लोगों के साथ कृष्ण जन्मआष्ट्मी को प्रमोट करना है जिससे भारतीय संस्कृति के बारे मे यहां के लोगों को ज्यादा से ज्यादा पता चल सके.
वहीं 18 जून को पच्चीस बच्चे हिंदी सीखेंगे जो शो मे शामिल होंगे. टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सुबिधाये चायना से सीख कर उत्तराखंड मे करना चाहता हूँ.
एक - दो साल बाद होटल से शुरुआत कर पर्यटक स्थलों को प्रमोट करने पर ध्यान दिया जायेगा.
अंतिम प्रश्न : उत्तराखंड की सरकार को क्या सन्देश देना चाहते हो?
उत्तर : उत्तराखंड मे सरकार को अभी गांव स्तर पर काम करने की जरुरत है. यहां चायना मे सरकार ने गांव इतने स्मार्ट बना रखे हैं कि गांव का ब्यक्ति अपने गांव मे ही चालीस से पचास हजार रूपये महीना कमा रहा है. हम वेटर को चालीस हजार रूपये इंडिया के हिसाब से देते हैं उसके बाद भी यहां पर वेटर नही मिल पाते क्योंकि उससे ज्यादा वो अपने गांव मे ही कमा रहे हैं ऐसे ही उत्तराखंड सरकार को भी गांव की ओर ध्यान देकर गांव को स्मार्ट बनाना होगा तभी पलायन भी रुकेगा और गांव मे ही लोग अपना रोजगार कर सकेंगे.
देव रतूड़ी से बातचीत पर आधारित