Team uklive
ऋषिकेश : देव भूमि उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित एम्स हॉस्पिटल में लाखों की संख्या में लोग इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं लेकिन इलाज के नाम पर मरीजों के साथ जमकर मजाक किया जा रहा है.
कई बार प्रशासन को शिकायतें भी की जा चुकी हैं लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है जिस कारण अस्पताल के कर्मियों द्वारा आए हुए मरीजों के साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है.
भारत सरकार द्वारा जनता के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कम खर्च में सुविधाजनक इलाज हेतु ऋषिकेश में एम्स हॉस्पिटल की स्थापना की गई जिसमें कम खर्च में बेहतर इलाज के अनुभवी डॉक्टरों व समस्त जांचों की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है. उत्तराखंड राज्य के साथ साथ अन्य राज्यों की जनता को ईलाज का लाभ मिल सके जिसमें हजारों की संख्या में लोग ईलाज की उम्मींद लिए एम्स हॉस्पिटल आते हैं लेकिन जब हॉस्पिटल की व्यवस्थाओं को देखते हैं तो वह अपने आप को कोसने लगते हैं. ईलाज के लिए पहले तो तपती गर्मी में खुले आसमान में धूप में अपना पर्चा बनवाने के लिए घंटों भूखे प्यासे लाइन में लगना पड़ रहा है जिसमें महिलाएं व सीनियर सिटीजन को भी उसी लाइन में लगना पड़ता है.
घंटों लाइन में लगकर जब तक पर्चा बनता है तब तक डाक्टरों के उठने का समय हो जाता है जिससे लोगों को निराशा के सिवा कुछ नहीं मिलता.
बस कुछ पहुंच वाले लोग या हॉस्पिटल स्टाफ के परिचितों को ही सही इलाज का लाभ मिल रहा है वरना आम जनता को सिर्फ नियमों का पाठ पढाकर टहला दिया जाता है इस तरह का व्यवहार से कुछ लोग चुपचाप हॉस्पिटल से कहीं और जाने को मजबूर हैं.
यदि कुछ मरीजों को भर्ती किया जाता है तो उसके तीमारदारों को बिना वजह हॉस्पिटल के चक्कर लगाने के लिए मजबूर कर दिया जाता है बीमार होने का फायदा उठाकर एम्स हॉस्पिटल में ईलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है.
हॉस्पिटल में कई जगह स्टाफ अपनी ड्यूटी समय पर ही लोगों की मदद करने के बजाय बाद में आने की बात कह दी जाती है आखिर एम्स हॉस्पिटल कब व्यवस्थाओं को लेकर गहरी नींद सोता रहेगा.



