सरकारी स्कूल की टाटपट्टी मे बैठकर पढ़ने वाला छात्र हुआ राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद(एनसीईआरटी) के पूर्णकालिक निदेशक के पद पर नियुक्त

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टिहरी :  टिहरी के  प्रोफ़ेसर दिनेश सकलानी को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद(एनसीईआरटी) के पूर्णकालिक निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया है।

    हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय (श्रीनगर) में  इतिहास विभाग के  प्रोफेसर दिनेश सकलानी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। शिक्षण और प्रशिक्षण के रूप में उनका विश्वविद्यालय में बड़ा नाम है।अनेक देशों में उनके व्याख्यान होते हैं और अनेकों  छात्रों ने उनके मार्गदर्शन में शोध कार्य किया है।
     असेवित क्षेत्र के, पर्वतीय भू-भाग से निकली हुई इस प्रतिभा ने अपने ज्ञान के आलोक से पूरे भारतवर्ष को गौरवान्वित किया है।
  उनके सहपाठी रहे कवि सोमवारी लाल सकलानी ने बताया कि सरकारी बेसिक स्कूल की फटी हुई टाटपट्टी पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करने वाले यह व्यक्ति, आज इतने महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त हुए हैं। यह उनके पुरुषार्थ और कर्म का फल है।
    टिहरी जनपद के विकासखंड जौनपुर स्थित, सकलाना पट्टी के पुजार गांव में प्रोफेसर दिनेश सकलानी का जन्म हुआ। इनके  पिता स्वर्गीय चंद्रमणी सकलानी  एक सामान्य कृषक थे।इनकी  प्रारंभिक शिक्षा बेसिक पाठशाला पुजारगांव में हुई। सन 1979 को उन्होंने  हाई स्कूल की परीक्षा राजकीय इंटर कॉलेज पुजारगांव (सकलाना) से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर राष्ट्रीय छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्रों में अपना नाम शुमार किया। 

सोमवारी लाल सकलानी ने बातचीत मे बताया कि प्रोफ़ेसर दिनेश सकलानी कक्षा मे मुझसे एक दर्जा पीछे थे। लेकिन ज्ञान में कई दर्जा आगे रहे हैं। सन 1981 को इसी विद्यालय से उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। तदोपरांत देहरादून से स्नातक और परास्नातक की परीक्षाएं उत्तीर्ण कर कई वर्षों तक आईएएस की तैयारी की। जहां तक मेरी जानकारी है उन्होंने आईएएस प्री और मेंन की परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी। शायद साक्षात्कार में रह गए हों।
    प्रोफेसर दिनेश सकलानी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हायर एजुकेशन कमिशन से लेकर, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय जैसे अनेक लब्ध प्रतिष्ठित संस्थानों में उनके व्याख्यान होते हैं। उन्होंने एडवांस स्टडीज के अनेकों संस्थानों में अनुसंधान कार्य मे योगदान दिया है। अपने विशिष्ट ज्ञान के द्वारा उन्होंने विश्व के अनेक देशों के विश्वविद्यालयों में अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। अपने शोध पत्र पढ़े और अपने छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शोध के लिए प्रेरित ही नहीं बल्कि उनका मार्गदर्शन भी किया।
     प्रोफ़ेसर दिनेश सकलानी की नियुक्ति हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में सन 1992 में हुई। जहां तक मेरी जानकारी है वह हमारे क्षेत्र से पहले नेट क्वालीफाई व्यक्ति थे।  प्रोफेसर सकलानी ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। वह लंबे समय तक केंद्रीय विश्वविद्यालय में चीफ प्रॉक्टर के पद पर भी रहे। उनकी धर्मपत्नी  सरला सकलानी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय में पैरामेडिकल विभाग की प्रोफ़ेसर है.
     मेरा सोशल मीडिया के द्वारा प्रोफेसर सकलानी से संवाद बना हुआ रहता है और काफी कुछ प्रेरणा उनके व्यक्तित्व और कृतित्व से मिलती है। मैं उनकी उपलब्धियों को समय-समय पर अपने छात्रों, संपर्क में आने वाले लोगों, क्षेत्रवासियों, तथा मित्रों को प्रेरणा हेतु शेयर करता रहता हूं।
    प्रोफ़ेसर सकलानी के निदेशक बनने की मुझे इस बात की खुशी है कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र  छात्राएं- छात्राओं का मनोबल ऊंचा होगा। उन्हें एक प्रेरणा मिलेगी और कुछ नया करने की उत्सुकता उनके मन में जागृत होगी। यह मेरा मानना है। 
    प्रोफ़ेसर दिनेश सकलानी अनेक सामाजिक कार्य भी करते हैं। राजकीय इंटर कॉलेज पुजार गांव के पूर्व छात्र होने के नाते, वह प्रतिवर्ष अपने स्वर्गीय माताजी और पिताजी के नाम पर उदीयमान छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करते हैं। यह उनका मिशन है। अपने घर- गांव और माटी के मोह से प्रोफ़ेसर सकलानी विमुख नहीं हुए हैं। अभी कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने अपने पैतृक मकान को एक भवन का आकार दिया जो कि पुजार गांव में अवस्थित है।
    

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