Team uklive
रिखणीखाल : आपने सुना होगा कि विकास खंड ,गांवों के विकास की लकीर खींचता है,लेकिन यहाँ तो अपनी ही लकीर नहीं खींच पा रहा है।रिखणीखाल प्रखंड पर 81 ग्राम पंचायतों(190 गाँवो) के विकास की जिम्मेदारी व बागडोर है।ग्रामीण टकटकी नजर गढाये रहते हैं कि हमारे गाँव का विकास होगा लेकिन होगा कैसे?
रिखणीखाल विकास खंड में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों के आवासीय भवन इस कदर खस्ताहाल व जीर्ण-शीर्ण हालत में है कि वे आजकल इस बर्षाकाल में बुरी तरह टपक रहे हैं।टपकने वाले स्थान पर बर्तन रखने पड रहे हैं,कर्मचारी अन्यत्र शरण लेने को मजबूर हैं।खासे परेशान नजर आते हैं जिससे उनका मनोबल टूटता जा रहा है कार्य के प्रति दिलचस्पी में कमी रहती है।विभाग के प्रति मुह खोलने को हिचकिचा रहे हैं।
वे स्वयं मरम्मत व सीमेंट से लपोडा लपोड करते हैं।ऐसे में कर्मचारियों से क्या उम्मीद करे कि वे गाँवो की विकास की लकीर तैयार करेगें जिनका अपने ही रहने का ठिकाना सही न हो वे कैसे जन विकास कल्याण कार्य की योजना धरातल पर उतार सकते हैं।यह भी देखा गया है कि प्रखंड में कर्मचारियों का भी अभाव रहता है जिससे विकास योजना कार्य चरणबद्ध समय पर नहीं होते।
इतने बड़े व पुराने प्रखंड में एक फोटो स्टेट मशीन तक उपलब्ध नहीं है।एक कागजात को फोटो स्टेट करने के लिए बाजार भागना पड्ता है वो भी स्वयं के वेतन व भत्ते से।
जब एक विकास खंड मुख्यालय ही ऐसी हालत में हो तो गाँव की विकास की बात करना बेईमानी होगी व कोसों दूर की बात है।
अब रही बात संचार नेटवर्किंग की।इसका तो और बुरा हाल है,दूर दूर से लोग व प्रधान अपने कार्य के लिए आते हैं तो संचार नेटवर्किंग के न होने से बैरंग लौट जाते हैं।तीस चालीस किलोमीटर दूर का सफर व किराया भाडा वहन करते हैं।
आये दिन घोषणाएं तो बहुत होती है कि हम रिखणीखाल को स्विट्जरलैंड बना देगें लेकिन हकीकत रिखणीखाल जाकर ही पता लगेगी।
ऐसे मे देखना यह होगा कि क्या शासन व जिला प्रशासन इन रिखणीखाल के आवासीय भवनों की मरम्मत,जीर्णोद्धार व कार्यालयों में जरूरी संसाधन उपलब्ध करा पायेगा?