रिपोर्ट : ज्योति डोभाल
टिहरी :सुप्रीम कोर्ट में टिहरी बाँध विस्थापितों एवं प्रभावितों के याचिकाकर्ता रहे एडवोकेट शान्ति प्रसाद भट्ट ने साझा किए अपने अनुभव और नए मुख्यमंत्री से विस्थापन की अपील करते हुए कहा कि टिहरी बांध से विधुत उत्पादन का काम शुरू हुए 15साल हो गए,यह बाँध देश को पर्याप्त बिजली, पानी दे रहा है, किंतु जिन ग्रामीणों के खेत खलिहानो को उजाड़/डूबो कर यह बाँध बना है, उनके अनेकों परिवार अभी भी विस्थापन की बाट जोध रहे है।
29 अक्टूबर 2005 को टिहरी बांध की अंतिम सुरँग टी-2 को शट डाउन कर भागीरथी ओर भिलंगना नदियों को रोका गया था, जिससे 42 वर्ग किलोमीटर की विशाल झील निर्मित हुई,और टिहरी बाँध से विधुत उत्पादन शुरू हुआ ।
इस विशाल झील के निर्माण के लिए 75 किलोमीटर भागीरथी घाटी की और 25किलोमीटर भिलंगना घाटी की ओर के लगभग 125 ग्रामो को ग्रास बनना पड़ा.
डाउन स्ट्रीम में कोटेश्वर बाँध में भी अनेकों गाँवो को कोटेश्वर की झील के लिए ग्रास बनना पड़ा, इन सभी ग्रामो के लिए पुनर्वास नीति1998 के तहत प्रतिकर एवं विस्थापन की कार्यवाहियां हुई, किंतु अनेकों ऐसे गाँव थे जो इस नीति से गवर्न नही हो पा रहे थे तो कुछ पहलू ऐसे भी थे,जो झील निर्माण के बाद लोगो की समझ मे आये और जनहित के लिए आवश्यक हो चुके थे ।
इस दौरान किशोर उपाध्याय का आगमन हुआ.
वर्ष 2002 में जब नवोदित उतराखण्ड की पहली विधानसभा का निर्वाचन हुआ तो टिहरी से किशोर उपाध्याय विधायक निर्वाचित हुए, टिहरी पहुँचते ही किशोर उपाध्याय के स्वागत में जगह जगह समस्याओं का अंबार लगा था,अफरा तफरी का माहौल था.
लोग अपने ठौर ठिकानों के लिए किंकर्तव्यविमूढ़ थे, क्या भागीरथी घाटी और क्या भिलंगना घाटी या कोटेश्वर घाटी ,कहीं पेयजल, अस्पताल,कही बिजली, कही पुल, कही सड़क कही जूनियर हाईस्कूल तो कही हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की जरूरत तो कही डिग्री कॉलेज की जरूरत ,किशोर उपाध्याय के साथ मैं जहाँ भी जाता तो देर रात तक हम बोरी भर के समस्याओ से भरे कागज लेकर लौटते, इन कागजो को संकलित करते इन पर पत्र तैयार करते.
शासन प्रशासन तक पहुंचाते कई दिन लग जाते कुछ पर अमल होता कुछ पर नही।समस्याये खत्म ही नही हो रही थी, फिर किशोर उपाध्याय ने निर्णय लिया कि विधिवत ग्राम/ग्रामीण बाजारों में "महापंचायतो" के माध्यम से समस्याओ को एकत्र करेंगे और फिर उनपर शिद्दत से काम किया जाएगा, महापंचायतो का सघन दौर चला.
समस्याए एकत्र कर सरकार को प्रस्तुत की गई, कुछ काम हो गए लेकिन कुछ काम तत्कालीन जिलाधिकारी संजयकुमार के अड़ियलपन के कारण नही हो सके.
अनेकों नेताओ ने हर पल हमारा विरोध किया, हमे नीचा दिखाने के लिए कोई कसर नही छोड़ी कही जातिवादी टिपणियां की गई तो कही हमारी गरीबी का मजाक उड़ाया गया, हमारी टीम मजबूत थी किशोर उपाध्याय, जोत सिंह बिष्ट , महिपाल नेगी,शान्ति प्रसाद भट्ट , दर्शनी रावत ,नरेंद्र राणा, सूरज राणा, जगदंबा रतूडी , पदम सिह कुमाई जैसे संघर्षशील लोग साथ थे ,अंततोगत्वाश्री किशोर उपाध्याय ने सबकी सहमति से निर्णय लिया कि पूरे प्रकरण को उच्च न्यायालय लेकर जाएंगे.
उच्च न्यायालय में मेरे नाम से याचिका दाखिल हुए शांति प्रसाद भट्ट व अन्य बनाम भारत संघ व अन्य कोर्ट ने हमारी याचिका पर T-2 सुरँग को बन्द करने पर रोक लगा दी.
किन्तु 29अक्टूबर को 2005 को रोक हटा दी यहाँ T-2सुरँग को बंद करने की पूरी तैयारी थी हमने स्थल पर पहुंच कर विरोध किया तो हमे गिरफ्तार कर लिया गया।इस आदेश के खिलाफ हमे फिर सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा जहाँ यह याचिका किशोर उपाध्याय व अन्य बनाम भारत संघ व अन्य के नाम से योजित हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने किशोर उपाध्याय की इस याचिका पर कुल 51आदेश पारित कर अनेक लाभ टिहरी बांध विस्तापितो/प्रभावित एरिया को दिए जिनमे प्रमुख रूप से पुलों के निर्माण घोंटी, चिन्यालीसौड़, डोबरा चांठी ,रोप वे, पेयजल योजनाएं, कोशियार ताल, सारज्यूला , प्रतापनगर, रजाखेत आदि, साथ ही जाख डोबरा सड़क सहित अनेक लिंक मार्ग, फेरी वोट आदि।इतना ही नही बल्कि तत्कालीन राज्य सरकार, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के आलोक में अभूतपूर्व कार्य किया और किशोर उपाध्याय की माँग पर अधिकांश हाईस्कूलों को इंटरमीडिएट में उच्चीकरण किया.
नई टिहरी महाविद्यालय सहित पौखाल,अगरोडा, नैखरी में डिग्री कालेज स्थापित हुए, हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज भागीरथी पुरम में स्थापित किया.
वानिकी और औद्यानिकी विश्वविधायलय रानीचोरी चम्बा, श्रीदेवसुमन राज्य स्तरीय विश्व विद्यालय,थौलधार, जाखणीधार,चम्बा, प्रतापनगर भिलंगना की अनेकों सड़कों को स्वीकृत किया.
नई टिहरी के अस्पताल को जिला अस्पताल और नरेंद्रनगर को सँयुक्त चिकित्सालय, का दर्जा मिला.
chc, phcr और अनेक उपकेंद्रो सहित अनेको जनहित के कार्य हुए।
जब श्रीमती सोनिया गांधी ने नई टिहरी में मेडिकल कॉलेज की घोषणा की थी।
वर्ष 2012 विधानसभा के निर्वाचन में देश की सर्वोच्च नेता सोनिया गांधी नई टिहरी के बौराड़ी स्टेडियम में किशोर उपाध्याय और कांग्रेस के अन्य केंडिडेट के चुनाव प्रचार के लिए एक ऐतिहासिक विशाल जनसभा को संबोधित किया था, इस सभा का संचालन मैंने किया था, मंच पर नारायण दत्त तिवारी, हरीश रावत,किशोर उपाध्याय प्रदीप टम्टा, शूरवीर सजवाण, जोत सिह बिष्ट,विक्रम नेगी,सहित कांग्रेस के राष्ट्रीय और राज्य के नेताओ की उपस्थिति में सोनिया गांधी जी ने घोषणा की थी कि"टिहरी के लोग कांग्रेस और टिहरी से किशोरी@किशोर उपाध्याय जी को जीता दे, मैं वचन देती हूं कि आपको "मेडिकल कॉलेज" दूंगी ।
लेकिन दुर्भाग्य से लोगो ने किशोर उपाध्याय को हरा दिया ,तो मेडिकल कॉलेज की पैरवी कौन करता ??
415परिवारों का विस्थापन्न
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हमने यह अहम बिंदु उठाया था कि RL 830mtr तक के लिए तो पुनर्वास नीति 1998 है किंतु RL 830mtr से ऊपर के वे ग्राम जो झील निर्माण से प्रभावित हो रहे है उनका विस्थापन कैसे होगा
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र/THDC ओर राज्य सरकार को आदेश दिया था कि " RL830mtr के ऊपर ग्रामो के लिए एक संपार्श्विक छति पूर्ति नीति (कोलेट्रल डैमेज पॉलिसी) बनाये ओर खतरे की जद वाले ग्रामो/परिवारों को विस्थापित करे, कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शीघ्र नीति बना दी और सर्वे आरम्भ हो गया.
सर्वे में लगभग 415 परिवारों के विस्थापन का सवाल था,जब तक हम मिलकर यह कार्य आगे बढ़ा ही रहे थे कि वर्ष2007 विधान सभा चुनाव आ गये और कांग्रेस चुनाव हार गई,यधपि किशोर उपाध्याय जीत गए,भाजपा ने राज्य में सरकार बना ली थी, हमारा संघर्ष जारी था, किन्तु भाजपा की राज्य सरकार रोड़े अटकाती रही और हम संघर्ष में जूझते रहे.
देखते देखते पूरे पाँच साल कट गए हमारा केश सुप्रीम कोर्ट में चल ही रहा था कि पुनः वर्ष2012 में विधानसभा निर्वाचन हुआ और कांग्रेस की सरकार वापस आई किंतु किशोर उपाध्याय चुनाव हार गए और एक निर्दलीय चुनाव जीत गया, किशोर उपाध्याय अब प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे और मैं कांग्रेस जिलाध्यक्ष तो श्री बिष्ट जी प्रदेश उपाध्यक्ष, मुझे कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत जी ने अपना शासकीय प्रवक्ता बना लिया था, हम सबने रावत जी के कुशल नेतृत्व मे टिहरी बांध प्रभावित ग्रामो के 415 परिवारों का चिन्हीकरण किया जिनमे ग्राम रोलकोट के 103 परिवार, ग्राम नंदगाँव के 27 परिवार, ग्राम गोजमेर के2,ग्राम पिपोला(उठड)72,भटकण्डा
(लुणेटा) के 36,खण्ड धारमण्डल 15,गडोली के 54,चिन्यालीसौड़ 03,भंगर के 05,सिल्ला और तल्ला उप्पू 38,परिवार चिन्हित हो चुके थे.
प्रथम चरण में इनकी परिसंपत्तियों का भुगतान कांग्रेस की सरकार ने देना शुरू कर दिया था, यह कार्यकाही गतिमान थी,और पूर्ण रूप से विस्थापन के लिए पात्रता निर्धारण का कार्य तेज गति से होने लगा.
415परिवारों में 352 परिवार पूर्ण रूप से पात्र होने हेतु संस्तुति हो गई और इनकी परिवार वार पत्रावलियां तैयार होने लगी जिनमे खाता खतौनी की नकल,61ख,परिवार रजिस्टर की नकल आदि आदि प्रपत्र तैयार होने लगे, तभी कुछ भाजपा के ख़ामो खाम नेताओ ने छद्दम बाँध विस्थापित संघर्ष समिति तैयार की और पुनर्वास कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया, इससे यह नुकसान हुआ कि ग्रामो में जो अधिकारी कर्मचारियों की सर्वे टीमें उत्साह से काम कर रही थी उन्होंने काम करना बन्द कर दिया चूँकि निदेशालय के दरवाजे पर ये लोग जाकर बैठ गए थे,, पुनर्वास का काम ठप कर दिया गया,समय को कोई रोक नही सकता तभी वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव आ गया और जो व्यक्ति लोगो को उकसा कर धरनावीर बना था वो विधायक बन गया ,जो ग्रामीण धरने में साथ थे वे छलावे में आ गये थे.
पुनःवर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव सामने है, पर किसी का विस्थापन नही हुआ ना ही इन पाँच वर्षों में कोई धरना हुआ. कहा गए वो धरनावीर और वो छद्दम बांध विस्थापन संघर्ष समिति कोई अता-पता नही.
उन्होंने कहा मुख्यमंत्री जी से मेरा पुनः आग्रह है कि टिहरी बांध से प्रभावित 415 परिवारों में से 352 परिवारों का विस्थापन युद्ध स्तर पर अगले तीन माह में करने की कृपा करें।


