उत्तराखंड में पलायन की समस्या

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Dinesh thati pahadi

 उत्तराखंड राज्य बनने के बाद मैदानी क्षेत्र भले ही विकास की राह पर हो लेकिन पहाड़ी इलाके दिन प्रतिदिन पलायन की मार झेलते आ रहे है ।
उत्तराखंड में जिस हिसाब से पलायन देखने को मिल रहा है अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में दिक्कतें खड़ी हो जायेगी ।

बहुत से लोग तो ऐसे भी है जिन्होंने एक बार पहाडों को छोड़ने के बाद दोबारा मुड़कर नहीं देखा ।
एक रिसर्च के मुताबिक पौड़ी जिले में 370 और अल्मोड़ा मे 256 गाँव खाली हो चुके है ।
अन्य जिलों की अगर बात करें तो यहां के हालात भी कुछ अच्छे नहीं है ।
थोड़ा से भी आर्थिक रूप से सक्षम लोग अपने और अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए गांव छोड़ रहे है ।
और जो लोग अभी गांव मे बचे है उनमे से ज्यादातर या तो वो बूढ़े बुजुर्ग है या जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है ।

जिन गावों को छोड़कर हम शहर मे बस रहे है उन्ही गावों से नेपाली मजबूत कमाई करने लगे है ।
जिन स्कूलों मे कभी उत्तराखंड के बच्चे पढ़ा करते थे उन स्कूलों मे उनके बच्चे पढ़ रहे है ।
जिन खेतों को हम लोग इस लिये छोड़ चुके है कि यहाँ कुछ उगता नही है उन्ही खेतों से नेपाली मजदूर अनेक किस्म की फसलें उगा रहे है ।
और अच्छे दामों पर बेच रहे है ।
मैने कई बार लोगो को कहते हुए सुना है कि गांव मे क्या रखा  है ।
क्यों रहे हम यहां ?
ना तो रोजगार के साधन है और ना सुविधाऐं ।
तो इन नेपालियों से पूछिए जो अब  यहां बसने लगे है ।
वो अगर हमसे ज्यादा कर पा रहे है तो केवल इसलिए क्योंकि हम नहीं करना चाहते ।

हम उस इच्छा को खत्म कर चुके है जहां हम अपने गांव को और खेत खलियानों को सवारना चाहते है ।
एक रिपोर्ट के अनुसार जैसे जैसे उत्तराखंड के लोग पलायन कर रहे है ।
वैसे वैसे नेपाल से आये हुए लोग यहां बसते जा रहे है ।
अगर ऐसा ही चलता रहा तो बहुत जल्दी ये पहाड़ी इलाके नेपाल बन जायेंगे ।
ये लोग घर निर्माण खेती बाड़ी जेसै कई अन्य तरीके अपनाकर यहां आजीविका का साधन खोज रहे हैं ।

उत्तराखंड मे पलायन की वजह -

उत्तराखंड पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 50 फीसदी लोग रोजगार के लिए पलायन कर रहे है ।
15 फीसदी लोग शिक्षा के लिए पलायन कर रहे है ।
8 फीसदी लोग स्वास्थ्य सेवाओं की कमीं के चलते पलायन कर रहे है ।
इस रिपोर्ट के अनुसार पलायन करने वालों मे से सबसे ज्यादा युवा शामिल है ।
प्रवेश के 734 गांव 2011 के बाद अब तक खाली हो चुके है ।
कई ऐसे भी गांव है जिनमे अब कोई नही रहता इन गांवों को अब भूतिया गांव कहा जाने लगा है ।
पलायन आयोग की रिपोर्ट के उनुसार पिछले 10 सालों मे 6,338 ग्राम पंचायतों से पलायन हुआ है जिसमे टिहरी और पोड़ी गढ़वाल से सबसे ज्यादा पलायन हुआ ।
10 साल मे 3 लाख 87 हजार 732 लोगों ने उत्तराखंड से पलायन किया ।
मैं ये नहीं कह रहां हूँ कि अब हम अपनी नौकरी को छोड़कर गांव मे बैठ जायें लेकिन क्या हम यहां रोजगार के साधन नहीं खोज सकते या अपना रोजगार सुरू नहीं कर सकते नीचे Comment box मे जरूर लिखना ।
Team uk live

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