राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन अभियान की हुई शुरुआत

ज्योति डोभाल संपादक 



टिहरी : राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन अभियान की टिहरी जनपद मे शुरुआत हो गई l

जिला अस्पताल बौराड़ी मे आयोजित कार्यक्रम मे बताया कि 

सिकल सेल एक वंशानुगत रोग है जो मुख्यतः जन-जातीय समुदाय के व्यक्तियों में पाया जाता है

प्रधानमंत्री द्वारा  01 जुलाई 2023 को देश के 17 राज्यों में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन अभियान का शुभारम्भ मध्य प्रदेश से किया गया।

बताया कि उक्त अभियान का लक्ष्य सम्पूर्ण भारत से वर्ष 2047 तक सिकल सेल का उन्मूलन किया जाना है।


उक्त अभियान के अन्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य को 0-40 वर्ष तक के 153002 जन-जातीय समुदाय के व्यक्तियों की जॉच किये जाने का लक्ष्य प्राप्त हुआ।

 जिसके सापेक्ष राज्य द्वारा 153051 लाभार्थियों की जाँच की जा चुकी है और इस संबंध में भारत सरकार को भी अवगत कराया जा चुका है।

उक्तानुसार स्क्रीनिंग किये गये लाभार्थियों को सिकल सेल काउन्सलिंग कार्ड भी वितरित किये जा रहे हैं l

बताया कि 153002 के टारगेट के सापेक्ष 153051 की स्क्रीनिंग अभी तक हुई है जिनमे जिलेवार 121314 को कार्ड बितरित किये जा चुके हैं l

79 प्रतिशत कार्ड अभी तक बितरित किये गए हैं l

चिकित्साधिकारी डॉ अमित रॉय ने बताया कि सिकल सेल एनीमिया खून की कमी से जुड़ी एक बीमारी है। 

इस आनुवांशिक डिसऑर्डर में ब्लड सेल्स या तो टूट जाते हैं या उनका साइज और शेप बदलने लगते है जो खून की नसों में ब्लॉकेज कर देते हैं।

 सिकल सेल एनीमिया में रेड ब्लड सेल्स मर भी जाते हैं और शरीर में खून की कमी हो जाती है। 

जेनेटिक बीमारी होने के चलते शरीर में खून भी बनना बंद हो जाता है। वहीं शरीर में खून की कमी हो जाने के कारण यह रोग कई जरूरी अंगों के डेमेज होने का भी कारण बनता है। 

इनमें किडनी, स्पिलीन यानि तिल्ली और लिवर शामिल हैं।


ये हैं इस बीमारी के लक्षणः


जब भी किसी को सिकल सेल एनीमिया हो जाता है तो उसमें कई लक्षण दिखाई देते हैं, जैसेः-


1. एनीनिया/पिलियापन दिखायी देना।


2. रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाना और बार-बार संक्रमण/बीमार होना।


3 हर समय हड्डियों और मसल्स में दर्द रहना।


4. स्प्लिीन का आकार बढ जाना।


5 हाथ, पैर और जोडो में दर्द भरी सूजन आना।


6. रक्त की भारी कमी होने के चलते बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पडना।


लाइलाज


सिकल सेल एक अनुवांशिक रोग होता है।


जब तक रोग की जाँच ना करायी जाये रोग का पता नही चलता।


 यदि किसी को भी सिकल सेल हो तो परिवार के सभी सदस्य सिकल सेल जॉच अवश्य करवाये।


वर्तमान में सिकल सेल एनीमिया बीमारी का पूरी तरह निदान संभव नहीं है। इसलिये चिकित्सक के परामर्श अनुसार  दवा का सेवन करें।


उन्होंने बताया कि यदि बच्चों  को सिकल सेल एनीमिया हो तो स्कूल के प्रिंसिपल / प्राचार्य तथा कक्षा शिक्षक को इसकी जानकारी दें।


स्कूल में शारीरिक श्रम/व्यायाम या भारी काम न करवाने की जानकारी शिक्षक को दें।


कक्षा में पिडित बच्चे को बार-बार पेशाब आने पर शिक्षक शौच जाने की अनुमति दें।


शिक्षक को आपातकालीन लक्षणों की जानकारी दें।


अपने नजदीकी चिकित्सा ईकाई से समयानुसार दवा प्राप्त करें।


भारत सरकार द्वारा साल 2047 तक इस सिकल सेल रोग को भारत से जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।


भारत सरकार द्वारा इसी बीमारी से जूझ रहे आदिवासी क्षेत्रों में 40 साल तक के 7 करोड़ लोगों की तीन साल (2023-24, 2024-25, 2025-26) में स्क्रीनिंग किये जाने का लक्ष्य रखा गया, जिसके अंतर्गत उत्तराखंड राज्य को 40 साल तक के 153002 जनजाती समुदाय के लाभार्थियों की स्क्रीनिंग किये जाने का लक्ष्य प्राप्त हुआ था जिसके सापेक्ष राज्य द्वारा 153051 लाभार्थियों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है।

इस मौके पर चिकित्साधिकारी डॉ अमित रॉय, दरमियान रावत सहित समस्त चिकित्सा स्टॉफ मौजूद रहा l


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने लिया कड़ा एक्शन : लापरवाही बरतने पर अध्यापक जयवीर सिंह निलंबित

सहायक अध्यापक (एल.टी.) पदों की लिखित प्रतियोगी परीक्षा शांतिपूर्वक संपन्न हुई, परीक्षा में 91.39 प्रतिशत अभ्यर्थी उपस्थित हुए

कोतवाली नई टिहरी क्षेत्र से गुमशुदा बच्चो को नरेन्द्रनगर पुलिस ने किया शकुशल बरामद