रिपोर्ट : वीरेंद्र नेगी
उत्तरकाशी : समाज के हाशिये पर पड़ी गरीब जनता को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार की गारंटी देने के लिए कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में मनरेगा जैसी कल्याणकारी योजना चलाई गई.बीते आठ-नौ सालों के अपने कार्यकाल में मोदी सरकार ने इस योजना का कबाड़ा कर दिया। सरकार की नीयत में खोट का खमियाजा देश की गरीब जनता भुगत रही है।
मनरेगा प्लान पर उत्तरकाशी कांग्रेस के मीडिया प्रभारी प्रताप प्रकाश पंवार ने सवाल उठाते हुए कहा. इस साल सरकार ने मनरेगा के बजट में भारी कटौती कर दी है, जब सबसे ज्यादा मनरेगा का बजट बढ़ाने की जरूरत थी, उस वक्त बजट में कटौती समझ से परे है.आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 से लेकर साल 2020 तक मनरेगा मजदूरों को एक साल में बमुश्किल केवल 48 दिन का ही रोजगार मिल पाया है।
बीते दिनों यह भी तथ्य सामने आया था कि सरकार पर मनरेगा मजदूरों का 4400 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है.सरकार की बदनीयती और सरकारी तंत्र की लापरवाही का परिणाम है कि देश की ग्रामीण आबादी के लिए वरदान जैसी मनरेगा योजना अभिशाप बनती जा रही है।
आपको याद रहे कि यह वही योजना है, जो कोरोना लॉकडॉउन के बाद गांवों में गरीबों और मजदूरों के लिए पेट भरने का बड़ा जरिया बनी थी.सरकार को जवाब देना होगा कि ग्रामीण अंचल की गरीब जनता के लिए रोजगार का प्रमुख जरिया मनरेगा योजना को हाशिये पर क्यों धकेला जा रहा है?
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