कड़वा सच : पेपर लीक के बड़े घोटाले मामले ने एक बार फिर खोली उत्तराखण्ङ राज्य में भ्रष्टाचार की पोल

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राजेश पसरीचा 




 देहरादून : पेपर लीक के बड़े घोटाले मामले ने एक बार फिर खोली उत्तराखण्ङ राज्य  में भ्रष्टाचार की पोल 

हालांकि सरकार के मुख्यमंत्री ने सभी आरोपियों की गिरफ्तारी कर कार्यवाही के दिए सख्त निर्देश


देवभूमि उत्तराखंड में uksssc भर्ती  घोटाले का यह पहला मामला नहीं है इससे पूर्व भी राज्य में कई बड़े घोटाले सामने आए हैं जिसमें  पर्दाफाश भी हुए हैं  जिसमें कई राज्य के बड़े  अधिकारी तक घोटाले मामलों में आरोपी सिद्ध हुए थे जिसके बाद तमाम जांच एजेंसियों द्वारा जांच कर कार्यवाही भी की गई सरकार चाहे किसी की रहे सरकार में रहकर हर मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रिमंडल सिर्फ यही दावा करती आई  हैं कि उन्होंने राज्य में भ्रष्टाचार कम किया है व भविष्य में भी किसी तरह के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा लेकिन जिस तरीके से राज्य में बड़े नामी हस्तियां व जिम्मेदार अधिकारी  ही यदि भ्रष्टाचार में लिप्त देखे जा रहे हैं क्या भविष्य में यह कहना सही होगा की देवभूमि कहा  जाने वाला उत्तराखंड राज्य  भ्रष्ट मुक्त राज्य बन सकेगा गरीब जनता की खून पसीने की कमाई से ऐसे भ्रष्ट अधिकारी करोड़ों रुपए  के वारे न्यारे कर नौ दो ग्यारह हो जाते हैं हालांकि वर्तमान में राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मामले में खुद नजर बनाए हुए हैं उन्होंने कड़े निर्देश दिए हैं कि पेपर लीक मामले में जो भी आरोपी सामने आते हैं चाहे वह किसी भी पद पर  हो या किसी भी पहुंच वाले का करीबी हो उनकी गिरफ्तारी कर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए उन्होंने साफ लहजे में कहा उनके रहते राज्य में किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा अब देखना यह है कि है जी भी आरोपी सिद्ध हुए हैं उन पर किस तरह की और क्या कार्यवाही होती  है कुछ एक अधिकारी या सफेदपोश करोड़ों रुपए कमाने के चक्कर में कार्यवाही से भी नहीं डरते उनको  अपने पद पर रहकर  यही लगता है कि यदि उन पर कोई कानूनी कार्यवाही होती भी है तो कितने दिन करोड़ों रुपए वारे न्यारे करने पर लाखों रुपए खर्च कर कार्यवाही को ठेंगा दिखाते हुए फिर खुलेआम महंगी गाड़ी बंगलों  में नजर आने लगते हैं क्या ऐसे लोगों के लिए  कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही रह जाती है  नेशनल हाईवे 74  में भी किसानों की जमीन के मुआवजे की राशि के घोटालों में कई सफेदपोश व  बड़े अधिकारियों से   लेकर कई सरकारी कर्मचारियों  के नाम सामने आए थे जिसमें  उत्तराखंड सरकार ने कार्यवाही   करते हुए कई अधिकारियों समेत कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था  लेकिन सवाल यह उठता है यदि किसी गरीब परिवार के लिए कोई आर्थिक सहायता हेतु योजना आती है तो उस योजना के अंतर्गत कुछ धनराशि पाने के लिए सरकार कई नियम बनाती है जिस नियम को पूरा करने में कई हजारों रुपए खर्च करने के बावजूद भी उस गरीब परिवारों तक आर्थिक सहायता नहीं पहुंच पाती लेकिन ऐसे लाखों रुपए वेतन पाने वाले अधिकारी कई करोड़ों रुपए का घोटाला कैसे कर जाते हैं कब यह  घोटाले करने की भूमिका बनाते हैं एक तरफ तो मोदी सरकार ने लगभग सभी सरकारी विभागों में ऑनलाइन की सुविधाएं कर दी गई हैं जिस पर सरकार के कई अधिकारी कर्मचारी सीधे-साधे जनता को ऑनलाइन का हवाला देते हुए काम की टालमटोल कर दी जाती है जिससे बड़े पदों पर बैठे अधिकारी कर्मचारी सिर्फ काम को लेकर खानापूर्ति कर  वेतन प्राप्त कर रहे हैं चाहे वह सरकारी बैंक हो क्या अन्य विभाग हर जगह जनता के साथ सिर्फ छल किया जा रहा है वह भोली भाली गरीब जनता सिर्फ धक्के खाते नजर आती है जबकि पहुंच वाले लोगों के घर बैठे अधिकारी फोन पर ही काम कर रहे हैं


  यह बड़ा गंभीर विषय है  देश की सरकार को सबसे पहले तमाम विभाग के अधिकारियों की संपत्ति की जांच करते हुए कार्यवाही  करनी चाहिए जिससे गरीब जनता की खून पसीने की कमाई ऐसे अधिकारियों के घरों तक ना पहुंच सके गरीब जनता का हक गरीब के घर में ही पहुंचना चाहिए जोकि जनता का अधिकार है यदि सरकार के उच्च पद पर आसीन अधिकारी ही घोटाले में लिप्त रहेंगे तो भला राज्य में छोटे कर्मचारी कैसे बच  सकते हैं 

सरकार को ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों की जांच कर संपत्ति जप्त करनी चाहिए जिससे भविष्य में अधिकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार करने से पूर्व कई बार सोचेंगे तभी उत्तराखंड राज्य एक भ्रष्ट राज्य बन सकेगा

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