तंबाकू उन्मूलन हेतु अपनी स्वरचित कविता के कुछ अंश को पोस्टर के रूप में संवार कर 'जन- जागरूकता' के लिए प्रेषण।
तंबाकू उन्मूलन /नशा मुक्ति/ मद्य निषेध हेतु समय-समय पर जन- जागरूकता के रूप में कार्य करता रहा हूं। कविताओं,आलेखों, संगोष्ठियों,बातचीत आदि के माध्यम से इस अभियान का हिस्सा हमेशा रहा हूं।
यहां तक कि बच्चों के शादी में भी कार्ड के ऊपर "शराब नहीं- संस्कार" छपवाया, जिसका दूरगामी प्रभाव पड़ा। कई बार लंग्स फाउंडेशन के कार्यक्रमों में भी अपनी कविताओं के द्वारा लोगों को जन- जागरूकता के लिए प्रेरित किया।
तंबाकू की बुराइयों के बारे में लोगों को समझाना हमारा फर्ज है। जब जीवन स्वस्थ रहेगा, सुखी रहेगा,तभी देश भी स्वस्थ और सुखी रह सकता है और आने वाली पीढ़ी के लिए हमारी यह धरोहर होगी।
समाज में जब कोई भी बुराई पनपती है तो तेजी से फैलती है लेकिन उस बुराई का अंत करने में दशकों लग जाते हैं।
शासन-प्रशासन, समाजसेवियों की यह अच्छी पहल है और प्रत्येक को इस पहल का हिस्सा बनना चाहिए। मन -कर्म और वचन से संकल्प लेना चाहिए कि ना हम स्वयं नशा करेंगे और न कभी दूसरे को यह बुरी शिक्षा देंगे। साथ ही इसका प्रतिकार भी करेंगे।
@ कवि सोमवारी लाल सकलानी, निशांत।