विनम्र अपील
जंगलो तैं आग सी बचावा धैं
हवा पाणी खाणा पेणा चांदा छे
जंगलों ते आग सी बचावा धै
किक तुम जंगलों तें आग मा जलोणा छे
किक तुम अपणु स्वाभीमान गिरोणा छें
किक तुम वैवजह आग लगाणा छे
किक अफु सगं हमारु जीवन मिटोणा छे
रक्त बीज कहर मा मेरा जगंलों मा भी आयी मोयार ,
किक जगंलों तें यें बसंत मा शिशकी शिशकी रूलोणा छ
एक पहल तुम भी जरुर करा धें
वणों मा आग न लगावा धे
अपणी माटि मा डालां बुडद्धा लगावा धैं,
पहाड मा हरितक्रांति फिर सी लावा धैं
मेरी डांडी काढिंयो का साहरा चेन पशु पाला़ धैं,
अपणी भुख तीष मिटोण तें
फलु फुलो का डाल़ा लगा धै
पशु पक्षियों की खतिर तुम
वणों मा आग न लगांवा दें,
पशु पक्षियों कि खातिर तुम
हरितक्रांति अपनावा धें
संगसार मा मानव जीवन बचावा धैं
तुम वणो मा आग न लगावा धें.
नवीन जोशी


 
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