Team uklive
टिहरी : शादियों में शराब नहीं हो तो मेहमान मजा ही नहीं समझते हैं साथ ही शादी में शराब ही आवश्यक सामग्री समझी जाती है लेकिन बहुत सारे समाजसेवी अब इस मुहिम को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं कि शराब नहीं संस्कार बढायें । शराब जैसी फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाने सहित शराब पी कर होने वाले दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भी सामाजिक सरोकारों के लोग जन जागरूकता अभियान चला रहे हैं । प्रसिद्ध प्रर्यावरण विद्ध इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित व बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जरधारी उन लोगों में से हैं जिन्होंने अपनी तीन बेटियों और एक बेटे की शादी में शराब नहीं परोसी है । 20 नवम्बर को छोटी बेटी आयु . गीता की शादी में समाजसेवी विजय जरधारी ने शादी के कार्ड के बाहर ही प्रिंट कराया " संस्कार व संस्कृति बचायें , कृपया शादी में शराब पी कर नहीं आयें " विजय जरधारी ने बताया कि पहाड़ों में अब मेंहदी की रस्म में शराब पिलाने का प्रचलन बढ़ रहा है जो कि समाज के लिए घातक है । अपने संस्कारों को भूलकर संस्कृति संरक्षण लुप्त हो गई है ।हर कोई शराब पिलाने को अपना ऊंचा स्तर समझ रहा है तथा कर्जा लेकर भी शादी के सामान के साथ शराब पहले ला रहा है । विजय जरधारी जी को मैत्री स्वयं सेवी संस्था श्यामपुर ऋषिकेश की अध्यक्ष कुसुम जोशी तथा प्रगतिशील जन विकास संगठन गजा टिहरी गढ़वाल के अध्यक्ष दिनेश प्रसाद उनियाल , श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के शशिभूषण भट्ट ने कहा कि हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए । उन्होंने जरधारी जी को बधाई दी है ।समाज को यह समझना होगा कि शादियों में शराब परोसने से आने वाली पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आ रही है । युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने में जन संवाद भी जरूरी है ।अभी कुछ दिन पहले सिलोगी गांव निवासी दिलबीर सिंह रावत ने भी अपनी पुत्री की शादी में काकटेल पार्टी नहीं की थी । पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित विजय जरधारी ने कहा कि जल जंगल जमीन बचाने की मुहिम के साथ संस्कृति व संस्कारों को बचाने की जरूरत है । बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जरधारी को डा दिवाकर पैन्यूली , जमनालाल बजाज पुरूस्कार से सम्मानित धूम सिंह नेगी ने बधाई दी है ।

