सबका साथ अपना विकास भाजपा सरकार के 4 साल उत्तराखंड बदहाल.विजयपाल सजवाण

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रिपोर्ट... वीरेंद्र नेगी 

 उत्तरकाशी... उत्तराखंड की जनता ने 4 साल पहले जिस सरकार को बड़ी आशा और उम्मीद के साथ भारी बहुमत देकर चुना था, उस डबल इंजन की सरकार ने इन 4 सालों में देवभूमि की जनता को छलने और ठगने का काम किया है। सरकार ने अपने गलत बित्तीय प्रबंधन के कारण राज्य को भारी कर्जे में डुबो दिया है। राज्य में विकास का काम पूरी तरह से ठप्प पड़ा है। राज्य की विकास दर 4.20 तक गिर गई है, जिसको सरकार छुपा रही है। राज्य की बेरोजगारी दर 22.3%से अधिक और भ्रष्टाचार चरम पर है। पूरे राज्य में सरकारी दफ्तर अब हड़ताली दफ्तर बन गए है। प्रदेश की ज्वलंत समस्याओं के निराकरण पर फिस्सड्डी साबित होने के बाद केवल मुख्यमंत्री का चेहरा बदल कर अपनी नाकामयाबियों का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। 

सरकार के इन 4 सालो में राज्य की जनता के साथ जो छल भाजपा की इस सरकार ने किया उसका सिलसिलेवार विवरण निम्नवत है:-  

पूर्व विधायक का ये हैं कहना.. 


भ्रष्टाचार।


◆सरकार ने भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए पहले विधानसभा सत्र में लोकायुक्त बिल पेश करते हुए लोकायुक्त की नियुक्ति की बात कही लेकिन सरकार ने लोकायुक्त बिल को ठन्डे बस्ते में डाल कर जनता के विश्वास पर पहली चोट पहुंचाई है।

◆ भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस का नारा देकर इसकी आड़ में भाजपा की सरकार की देखरेख में राज्य में भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है, NH74 घोटाले में चिन्हित बड़ी मछलियों को मलाईदार पोस्टिंग देना इसका एक सटीक उदाहरण है। 

◆विभागों में बिना निविदा के चहेतों को पर्ची देकर कार्य आवंटित किए जा रहे है।

◆मुख्यमंत्री के सलाहकार 350 करोड़ की मनी लॉन्डरिंग में सीधे-सीधे इन्वॉल्व है जिस कारण मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी तक गंवानी पड़ी।

◆उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में 3000 करोड़ की हेरा फेरी जिसकी जांच के लिए सांसद मेनका गांधी तक को पत्र लिखना पड़ा।


बेरोजगारी।

◆ राज्य के बेरोजगार नौजवानों को गुमराह कर उनके वोट के माध्यम से सत्ता हासिल करने वाली भाजपा के राज में राज्य की बेरोजगारी दर 14% से अधिक पहुँच गई है जो देश की बेरोजगारी दर से दोगुनी है।

◆ राज्य के 25000 रिक्त पदों पर पिछले 4 सालो में सरकार द्वारा बेरोजगार नौजवानों को नौकरिया न देने, अतिथि शिक्षकों का समायोजन न करने के कारण राज्य का नौजवान रोजगार पाने के लिए दर-दर भटक रहा है, लेकिन सरकार को कोई चिंता नहीं है। जो विज्ञप्तियां निकली उनमे भारी अनियमितता होने के कारण स्थगित करनी पड़ रही है।

◆ युवा भरेंगे उड़ान का नारा भी 15 लाख की तरह चुनावी नारा साबित हुआ। सरकार ने एक काम जरूर किया कि पिछली सरकार के समय खोले गए लगभग 100 से अधिक स्कूल, आईटीआई, पॉलिटेक्निक, महाविद्यालय या अन्य संस्थानों को बंद कर दिया। 

◆ एक अदद फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती परीक्षा में हुई धान्दली के कारण बेरोजगार सड़कों पर आन्दोलित है किंतु सरकार साक्ष्य मिलने के उपरांत भी दोषियों पर कार्यवाही कर भर्ती परीक्षा को निरस्त नही कर रही।


कानून_व्यवस्था व महिला_सुरक्षा।

◆ राज्य 2020 में लगभग 3000 गंभीर अपराध की घटनाएं घटित हुई, जो राज्य की क़ानून व्यवस्था की स्थिति की कहानी बयां कर रही है। इन 3000 गंभीर अपराध की घटनाओं में सबसे अधिक 547 घटनाएं बलात्कार की घटित हुई, जिनमे कई नाबालिग बेटियां भी शिकार हुई है। भारी संख्या में बलात्कार की यह घटनाएं भाजपा के बेटी बचाओ बेटी पढाओ और महिला सुरक्षा की पोल खोल रही है। पौड़ी में एक युवती को जिन्दा जलाये जाने, उत्तरकाशी में एक 7 साल की बालिका के साथ दुष्कर्म व हत्या, ऋषिकेश विदेशी महिला से दुष्कर्म जैसी घटनाओ के कारण जहाँ एक और क़ानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे है, वही दूसरी ओर देवभूमि भी शर्मसार हो रही है।


किसान।

◆ राज्य का किसान कर्ज के बोझ तले इतना दब गया है कि राज्य में भाजपा के शासन में पहली बार किसानो को आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ रहा है। राज्य में अब तक लगभग 13 किसान कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर चुके हैं। किसानो की आय दोगुना करने के बजाय किसानो की फसलों का उचित दाम न मिलने के कारण किसानो की आय आधी रह गई है। जंगली जानवरों से किसानों की फसलों की सुरक्षा के समुचित उपाय न किये जाने के कारण किसान खेती से विमुख हो रहे हैं, जिस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। नगदी फसलों का समर्थन मूल्य घोषित न होने से भी किसान लगातार उचित दाम न मिलने से हताश है। 

●राज्य की मंडियों में किसानों की फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। 


गंगा_सफाई।

◆ नमामि गंगे के तहत गंगा सफाई और खुले में शौचमुक्त के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी न तो गंगा साफ हुई और न ही प्रदेश खुले में शौचमुक्त हो सका। उत्तरकाशी शहर और माँ गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में गंदे नाले सीधे गंगा में प्रवाहित हो रहे है जिसके ट्रीटमेंट के लिए सरकार के पास कोई योजना नही है। गंगा रक्षा के लिए अब तक 3 साधुओं की मौत हो चुकी है। प्रदेश के 25% से अधिक घरों में शौचालय नहीं है, लेकिन सरकार ODF के नाम पर अपनी पीठ थपथपा रही है। 


अर्थव्यवस्था।

◆ देश में व्याप्त आर्थिक मंदी की मार से पीड़ित उत्तराखंड के उद्योगपति सरकार की तरफ से किसी प्रकार का सकारात्मक भरोसा न मिलने के कारण राज्य में कई औद्योगिक इकाइयाँ बंद हो गई है, इनमे काम करने वाले कामगार बेरोजगार हो गए है। लॉकडाउन के बाद उपजी समस्याओं से ओधोगिक इकाइयों से कर्मचारियों की छटनी होने से हजारों लोग बेरोजगार हो चुके है।

◆राज्य की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। विकास कार्यों के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है। सरकार वेतन देने के लिए कर्ज ले रही है 4 साल में इस सरकार ने लगभग 25000 करोड़ का कर्ज राज्य की जनता पर लाद दिया है। 


स्वास्थ्य_सुविधाएं।

◆ राज्य की स्वास्थ्य सेवाएँ बदहाल है। उत्तरकाशी का जिला अस्पताल, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र डाक्टरों व नर्सिंग स्टाफ के अभाव में रेफर सेण्टर बने हुए है। उत्तरकाशी सहित पहाड़ के बड़े से लेकर छोटे अस्पतालों में डाक्टर या अन्य स्टाफ की भारी कमी है। 108 सेवा के पूर्व कर्मचारियों के हटाये जाने से 108 सेवा अभी तक पटरी पर नहीं आ सकी है। राज्य में गर्भवती महिलाये प्रसव के दौरान दम तोड़ रही है। पिछले दिनों उचित सेवाओं के अभाव में प्रसव पीड़िता सड़को पर, पुल पर अस्पताल के बरामदे में प्रसव करने की कई घटनाएं चर्चा में है। राज्य के अस्पतालों में मोबाइल व टार्च की लाइट में आपरेशन किये जाने की घटनाएं भी जानकारी में आई हैं, तो समझा जा सकता है की स्वास्थ्य सेवाओं का राज्य में क्या हाल होगा।


महंगाई।

◆ राज्य के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में रहने वाले गरीब तबके के लोगो को महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। राशन, सब्जी, सरसों तेल, घरेलू सामान, रसोई गैस, डीजल, पेट्रोल, मोबाइल का रिचार्ज इन सबके दाम बढ़ने का असर सबसे ज्यादा गरीब लोगों को झेलना पड रहा है।


कर्मचारी_आंदोलन।

◆ राज्य सरकार की लापरवाही के कारण आज राज्य कर्मचारियों का एक बड़ा तबका आन्दोलन की राह पर है, जिस कारण सरकारी दफ्तरों में कामकाज नहीं हो पा रहा है। दफ्तरों की तालाबंदी का असर राज्य के विकास को बाधित कर रहा है। लेकिन सरकार कर्मचारियों को भी आपस मे उलझाकर कोई ठोस कदम लेने में नाकाम ही साबित हुई है।


पंचायतें।

◆ पंचायतें विकास की बुनियादी इकाई हैं, जिनको मजबूत करना राज्य सरकार की प्राथमिकता होना चाहिए था, लेकिन राज्य सरकार ने पंचायतराज एक्ट में गैरवाजिब संशोधन करके राज्य की पंचायतराज व्यवस्था का गला घोंटने का काम जरूर किया है।


चुनावी_वायदे।

◆ भाजपा दावा कर रही है की उसने तीन साल में अपने दृष्टिपत्र में किये गए वायदों में से 70% काम पूरे कर लिए है, और इसके लिए सरकार विगत दिनों से बड़े-बड़े विज्ञापन देकर जनता को गुमराह कर रही है, जबकि हकीकत यह है की भाजपा की इस सरकार ने अपने दृष्टिपत्र में से 10% भी काम नहीं किया है।

इनके दृष्टिपत्र में शिक्षा,  स्वास्थ्य,  पर्यटन,  कृषि, बुनियादी विकास, युवा पकड़ेंगे रफ़्तार, सशक्त नारी, सबका साथ सबका विकास, उद्योग-व्यापार व भ्रष्टाचार मुक्त शासन सबसे महत्वपूर्ण विषय थे। इन विषयो पर भाजपा ने विधानसभा चुनाओं के दौरान जनता से अनेक वायदे किये थे लेकिन हकीकत में भाजपा सत्ता में आते ही इन सब विषयों को और वायदों को भूल कर सबका साथ लेकर सबके विकास के बजाय अब केवल अपने विकास में पूरी तरह से मशगूल है। 

◆भाजपा सरकार ने पार्टी के दृष्टिपत्र में इंगित शिक्षा के व्यावसायीकरण व शैक्षिक भ्रष्टाचार पर रोक लगाने, जनपद में छात्राओं के लिए आवासीय विद्यालय खोलने, शिक्षकों व शिक्षणोत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति,  विश्वविद्यालयों में मुफ्त वाई-फाई लगाने का वादा भूल गई है। मेडिकल कालेजों को समृद्ध बनाने, कुपोषण दूर करने,  सरकारी अस्पताल की हालत सुधारने के दावे भी हवाई साबित हुए हैं। 


महत्वपूर्ण_पुल।

◆ उत्तरकाशी मे स्वास्थ्य, पेयजल, शिक्षा और यातायात जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्थाएं पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है। जिला मुख्यालय में लोग बदहाल ट्रैफिक समस्या से जूझ रहे है, वही तिलोथ, जोशियाड़ा, दिलशोड़, चामकोट  और गंगोरी जैसे सामरिक दृष्टि के महत्वपूर्ण पुल सरकार की नाकामयाबियों को जगजाहिर कर रहे है।


कूड़ा_निस्तारण।

◆ नगर क्षेत्र उत्तरकाशी में विकराल होती कूड़े की समस्या का निस्तारण करने में सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है, उल्टा राजनीतिक विद्वेष के कारण नगरपालिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप कर पालिका के प्रयासों में भी रोड़ा उत्पन्न कर रहे है।


शिक्षा।

◆ जहाँ पिछली सरकार ने तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाते हुए उत्तरकाशी के बौन में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की थी, वहीँ वर्तमान सरकार इसे आगे न बढ़ाकर अन्य गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करने की बात कर रही है।


जलविद्युत_परियोजना।

◆ 2017 के विधानसभा चुनावों में केंद्रीय मंत्री श्री गडकरी जी द्वारा रामलीला मैदान में भरी सभा मे यहां की जलविद्युत परियोजनाओं को सरकार बनते ही 06 माह में खोले जाने का वायदा भी अभी तक जुमला साबित हुआ है।



पार्किंग।

◆ मुख्यमंत्री के अपने पहले उत्तरकाशी दौरे की घोषणा के अनुरूप जनपद मुख्यालय में पार्किंग व्यवस्था एवं बसअड्डे का निर्माण अभी तक ठंडे बस्ते में ही है।



भटवाड़ी

◆ ब्लॉक मुख्यालय भटवाड़ी में पूर्व सरकार मे स्वीकृत बहुद्देशीय भवन (जिसके बनने से सभी ब्लॉक स्तरीय विभाग एक ही छत के नीचे कार्य कर आम जनता की सुलभता ) एवं बसअड्डे को भी इस सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है।



औद्योगिक_धंधे ।

●राज्य में निवेश लाने के नाम पर इनवेस्टर सम्मिट के आयोजन पर 60 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद राज्य में एक भी नया उद्योग नहीं लगा जिसमे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके।



दुर्घटनाएं।

●चारधाम यात्रा मार्ग पर लगातार हो रही दुर्घटनाओं और अव्यवस्थाओं पर सरकार रोक लगाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।



विद्युत।

●पिछली सरकार में 24 घंटे सुचारू बिजली आपूर्ति वाले इस राज्य में जनता को बिजली कटौती से जूझना पड़ रहा है। 



पेयजल।

●राज्य के कई गांव आज भी पेयजल संकट से पीड़ित हैं।



पर्यटन।

●राज्य में पर्यटन से रोजगार की असीम संभावनाएं पूरी तरह से नाकाम दिखने लगी हैं, 4 सालों में एक भी नया पर्यटक स्थल विकसित करने का प्रयास नहीं किया गया है।



सड़कें।

●2020 तक राज्य के सभी गांव को सड़क से जोड़ने का वादा तो अगले साल में भी पूरा करना इनके बस की बात नहीं, पुरानी सड़के भी बदहाल हो गई हैं। केवल PMGSY की सड़कों पर वाहवाही लूटकर कमीशन का खेल चल रहा है। बाकी जगह सड़कों को गढ़ो में ढूंढना पड़ रहा है। गंगोत्री विधानसभा मे खट्टूखाल, मांजफ, कुराह, उपरीकोट-यमनोत्री, जसपुर-सिल्याण, की सड़कों पर वायदे के अनुरूप काम नही हो रहा। वहीं संगमचट्टी- केलसु, मुस्टिकसौड़, और अनेक जगहों पर सड़कों की स्थिति बदहाल है लेकिन सरकार कमीशन खोरी के चक्कर मे पुरानी सड़कों पर कोई ध्यान नही दे रही है।



पेंशन_योजना।

●गरीबों को मिलने वाली अधिकांश पेंसन बंद कर दी गई है, पति पत्नी को मिलने वाली दोनों पेंशनें बंद है, जिससे संसाधन विहीन ग्रामीण दो जून की रोटी को तरस गए हैं।



बाहरी_ठेकेदार।

●केंद्र पोषित योजनाओं के ठेके बाहरी राज्यों के ठेकेदारों को देकर राज्य के लोंगो की अनदेखी की जा रही है, अन्याय किया जा रहा है।




कोरोना_वायरस।

●सरकार अपनी 4 साल की उपलब्धियों जो कि शून्य है के नाम पर एक बार फिर जनता को गुमराह करने की कोशिश में आज की ज्वलंत समस्या COVID 19 जैसी वैश्विक महामारी से राज्य की जनता के बचाव के उपाय करने से अभी तक भाग रही थी, लॉकडाउन के बाद उपजी समस्याओं और प्रवासियों की सुरक्षित वापसी पर सरकार पूरी तरह फैल साबित हुई।


 ●आज उत्तराखंड में विकास पूरी तरह से अवरुद्ध है, भ्रष्टाचार का बोलबाला है, सभी सत्ताधारी विधायक अपनी ढपली अपना राग अलाप रहे है और राज्य की जनता पछता रही है। राज्य की नौकरशाही बेलगाम है और जनता बदहाल। अपने कार्यकाल के चौथे साल केवल मुखिया बदलकर मंत्रिमंडल में पूर्व के सदस्यों को ही समायोजित कर पुरानी बोतल में नई शराब प्ररोशी है। 

 कांग्रेस पार्टी ने एक जिम्मेदार विपक्ष के रूप में सरकार बनने के 6 माह बाद से ही लगातार एक जिम्मेदार विपक्ष के रूप में राज्य सरोकार  से जुड़े ज्वलंत मुद्दों को समय समय पर धरना, प्रदर्शनों के माध्यम से उठाने का काम किया है, लेकिन सत्ताधारी पार्टी व मुख्यमंत्री जी भारी बहुमत के चलते सत्ता के मद में विपक्ष को कमतर आंकते रहे और मनमानी करते रहे। कांग्रेस पार्टी ने राज्य की जनता के हितों के साथ भाजपा की सरकार द्वारा किये जा रहे खिलवाड़ को बिलकुल बर्दास्त नहीं किया और लगातार जनपक्षों को लेकर आवाज बुलंद किये रही , जिसके नतीजतन सत्ताधारियों को अपनी कुर्सी हिलती दिख राज्य में नेतृत्व परिवर्तन करना पड़ा। विपक्ष ने राज्य की जनता को लगातार अपने अलग-अलग कार्यकर्मो के माध्यम से समय समय पर सचेत करते रहेंगे, व सरकार के जनविरोधी कार्यों का विरोध भी करते रहेंगे।

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