उत्तरकाशी : आज जहां पूरा स्वास्थ्य मंत्रालय अपने कार्मिकों की कोरोना की इस जंग के लिए पीठ ठोक रहा हैं वंही आयुर्वेद विभाग उत्तरकाशी के कार्मिकों का एक चौंकाने वाला आँकड़ा सामने आया है,कुछ फार्मेसिस्ट जान जोखिम में डालकर अपनी सेवा दे रहे हैं तो कई ड्यूटी के नाम पर जनपद में वर्षों से व्यवस्था के मजे ले रहे हैं ၊
उदाहरण के लिए, नवनीत उनियाल-नैटवाड़, विजय पाल पयाल- श्रीकाल खाल,राजेश जोशी-टिकोची, विजय राणा-कोठीण्डा, बलवीर-गंगाड़, अमिता-मोरी,सुमिता चौहान-हर्षिल,तृप्ति पंवार-चमियारी,रमेश बिष्ट-कफनौल,शिवांगी पंवार-बड़कोट,राखी भट्ट -दिचली आदि कई फार्मेसिस्ट वर्षों से व्यवस्था पर इधर से उधर अपनी सुविधा के अनुसार कार्य कर रहे हैं,जिसका परिणाम यह है कि कोरोना की इस आपदा में भी यह लोग अपनी मूलतैनाती को छोड़कर अन्य चिकित्सालयों में अटैच है जबकि राज्य सरकार 2 वर्ष पहले ही सभी व्यवस्थाएं समाप्ति के आदेश दे चुकी है,परन्तु इसे दुस्साहस कहा जा सकता है कि आज भी जनपद में 15 से ज्यादा और 4 से अधिक चिकित्साधिकारी वर्षों से सुख भोग रहे हैं और कार्यालय में बैठे अधिकारी मलाई खा रहे हैं ၊
परिणामस्वरूप अब अपनी मूल तैनाती में बचे हुए एक एक फार्मेसिस्ट को 20-30 गांव की जिम्मेदारी देकर विभाग अपनी खानापूर्ति कर रहा है ၊ रोज नए नए आदेश से फार्मेसिस्टों में रोष है,उनका कहना है कि यदि सभी को उनकी मूल तैनाती में वापस किया जाता है तो एक फार्मेसिस्ट के पास अधिकतम 5-7 गांव की ही जिम्मेदारी बनेगी और उन्हें भी राहत मिलेगी
महिला चिकित्सक की ड्यूटी काट दी गई है जबकि महिला फार्मेसिस्टों की ड्यूटी लगाई जा रही है जो कि भेदभाव को दर्शाता है ၊