. -9/11/उत्तराखंड हुआ 19 साल का /मगर गार्मीण झेल रहे अभी तक परेशानी. /वीरेंद्र सिंह नेगी /उत्तरकाशी
उत्तरकाशी। आगामी शनिवार 9 नवम्बर 2019 को हमारा पर्वतीय राज्य उत्तराखंड 19 वर्ष का हो गया । जिन भावनाओ के साथ पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की लड़ाई लड़ी गई। उन्हीं भावनाओं के विपरीत पर्वतीय राज्य उत्तराखंड का जीवन पहाड़ से भी कठिन कर दिया गया। इसकी बानगी बयां कर रहा है जनपद मुख्यालय से महज 4 किमी की दूरी पर स्थित स्युना गांव। जिसको एक अदद सड़क और पुल का इंतजार कई दशकों से है। तो 6 माह का जीवन इनका बहुत ही विकट और कठिन रहता है। क्योंकि इनका जीवन भागीरथी नदी के जलस्तर के घटने और बढ़ने पर ही सीमित रह गया है।
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यहां कई प्रकार की राजनीतिक उठापटक हुई। उन सब के बीच हमेशा विकास के दावे ठोके गए। तो फिर भोली भाली जनता यकीन कर बैठती कि सुदूर गांव के अंतिम व्यक्ति तक विकास की किरण पहुंचेगी। लेकिन दुर्भाग्य की सीमान्त जनपद उत्तरकाशी के जिला मुख्यालय से महज 4 किमी दूर स्युना गांव के ग्रामीणों के लोग 6 माह तक विकट परिस्थितियों में जीवन जीते हैं। बरसात के समय ऊपर से पहाड़ी से पत्थर गिरने का भय और नीचे भागीरथी के प्रचंड वेग में बहने का खतरा बना रहता है।
वीओ-2, आजकल सर्दियों में भागीरथी नदी का जलस्तर कम होता है। तो ग्रामीण सड़क मार्ग से गांव की दूरी कम करने के लिए भागीरथी नदी के ऊपर लकड़ी का अस्थाई पुलिया का निर्माण करते हैं। जिस पर भी लगातार खतरा बना रहता है। शासन हो चाहे प्रशासन सब की निगाहें इस गांव पर पड़ती जरूर हैं। लेकिन किसी को एक आम ग्रामीण की परेशानी नहीं दिखती है।
उत्तरकाशी। आगामी शनिवार 9 नवम्बर 2019 को हमारा पर्वतीय राज्य उत्तराखंड 19 वर्ष का हो गया । जिन भावनाओ के साथ पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की लड़ाई लड़ी गई। उन्हीं भावनाओं के विपरीत पर्वतीय राज्य उत्तराखंड का जीवन पहाड़ से भी कठिन कर दिया गया। इसकी बानगी बयां कर रहा है जनपद मुख्यालय से महज 4 किमी की दूरी पर स्थित स्युना गांव। जिसको एक अदद सड़क और पुल का इंतजार कई दशकों से है। तो 6 माह का जीवन इनका बहुत ही विकट और कठिन रहता है। क्योंकि इनका जीवन भागीरथी नदी के जलस्तर के घटने और बढ़ने पर ही सीमित रह गया है।
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यहां कई प्रकार की राजनीतिक उठापटक हुई। उन सब के बीच हमेशा विकास के दावे ठोके गए। तो फिर भोली भाली जनता यकीन कर बैठती कि सुदूर गांव के अंतिम व्यक्ति तक विकास की किरण पहुंचेगी। लेकिन दुर्भाग्य की सीमान्त जनपद उत्तरकाशी के जिला मुख्यालय से महज 4 किमी दूर स्युना गांव के ग्रामीणों के लोग 6 माह तक विकट परिस्थितियों में जीवन जीते हैं। बरसात के समय ऊपर से पहाड़ी से पत्थर गिरने का भय और नीचे भागीरथी के प्रचंड वेग में बहने का खतरा बना रहता है।
वीओ-2, आजकल सर्दियों में भागीरथी नदी का जलस्तर कम होता है। तो ग्रामीण सड़क मार्ग से गांव की दूरी कम करने के लिए भागीरथी नदी के ऊपर लकड़ी का अस्थाई पुलिया का निर्माण करते हैं। जिस पर भी लगातार खतरा बना रहता है। शासन हो चाहे प्रशासन सब की निगाहें इस गांव पर पड़ती जरूर हैं। लेकिन किसी को एक आम ग्रामीण की परेशानी नहीं दिखती है।