स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल,शौचालय में प्रसव,कब तक उत्तराखंड में 108 के भरोसे जिंदगी और मौत की जंग लडेंगी गर्भवती महिलाएं - उमा सिसोदिया,आप प्रदेश प्रवक्ता

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स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल,शौचालय में प्रसव,कब तक उत्तराखंड में 108 के भरोसे जिंदगी और मौत की जंग लडेंगी गर्भवती महिलाएं - उमा सिसोदिया,आप प्रदेश प्रवक्ता


Team uklive 



  देहरादून.... उत्तराखंड राज्य को बने हुए 20 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी पहाडों में स्वास्थय सेवाएं बदहाली के दौर से गुजर रही है। आप प्रवक्ता उमा सिसोदिया  ने एक  बयान जारी करते हुए कहा कि, पहाड में महिलाओं के सामने पहाड जैसे चुनौतियां पहले से हैं और उसके बाद सबसे बड़ी चुनौती उन महिलाओं के लिए है जो गर्भवती  हैं , प्रसव पीड़ा के दौरान उनको सरकार के खुले अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के चलते समुचित इलाज नहीं मिल पाता जिसके चलते हायर सेंटर रेफर के दौरान अधिकतर महिलाओं को हालात से जूझ कर और अपने साथ साथ उस नवजात बच्चे की ज़िन्दगी से भी रिस्क लेकर,मजबूरीवश रास्ते में बच्चे को जन्म देने को विवश होना पड़ता है। अकेले सीमांत जिले पिथौरागढ़ की बात करें तो यहां, एक साल के अंदर, हायर सेंटर रेफर के दौरान, 85 बच्चों ने 108  में जन्म लिया है। जिनमें से कई मामलों में नवजात की जान बचाना ,एक बड़ी चुनौती साबित हुआ। हालाकि ज्यादातर बच्चों को बचा लिया गया लेकिन सवाल ये उठता है आखिरकार 20 साल बीत जाने के बाद भी ,  सरकारें इस समस्या का  कोई भी समाधान नहीं निकाल पाई हैं। सरकार आज भी इतने सालों में पहाडों में स्वास्थय सुविधाएं देने के नाम पर केवल आंकड़ों तक सीमित रही है।  मौजूदा सरकार के कार्यकाल को 4 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन अफसोस कि, झूठे आंकडों पर राज्य सरकार जनता को गुमराह करने का काम कर रही है। आप प्रवक्ता ने कहा कि ,यूं तो पहाडों में हर मरीज बिना डाॅक्टर और इलाज के महानगरों की तरफ भागने को मजबूर है ,लेकिन हालात तब और भी अधिक खराब हो जाते हैं, जब गर्भवती महिलाओं को उपचार नहीं मिल पाने के कारण या तो पहाड में सफर के दौरान उनके साथ कोई अप्रिय घटना घट जाती है या ,  उन्हें शौचालय जैसी गंदी जगहों पर बच्चे जनने को विवश होना पडता है जिसका ताज़ा उदाहरण बीते दिन , पिथौरागढ़ के बेरीनाग में देखने को मिला,जहां ,प्रसव पीड़ा बढ़ने पर 108 सेवा से हायर सेंटर जाने के दौरान ,महिला को एक होटल के शौचालय के बाहर ही बच्चे को जन्म देने के लिए विवश होना पडा। 


 आप प्रवक्ता उमा सिसोदिया ने कहा,ये कोई पहला मामला नहीं ऐसे संवेदनशील मामले हर तीसरे दिन अखबारों की सुर्खियां बनती उसके बाद भी  सरकार  और उनके जनप्रतिनिधियों को शर्म नहीं आती । महिलाओं और नवजात को समुचित इलाज ना दिला पाने वाली सरकार जनता को गुमराह  कर रही है । एक तरफ राज्य सरकार  स्वास्थय सेवाओं के लिए बेहतर कार्य होने की बात कहती है  ,लेकिन वहीं दूसरी ओर ऐसी घटनाएं सरकार की पोल खोलने के लिए काफी हैं। उन्होंने कहा कि  ये हालत सिर्फ पिथौरागढ जिले के है ,  अगर पूरे प्रदेश की बात की जाए तो हर पहाडी जिले में यही घटनाएं सुनने को मिलती हैं। कई बार अप्रिय घटनाएं भी गर्भवतियों के साथ घटित हो चुकी हैं लेकिन सरकार को महिलाओं की इस पीडा से कोई मतलब नहीं है।

प्रदेश के अस्पतालों में कहीं मशीनें हैं तो कहीं ऑपरेटरों  का अभाव है,मरीजों की लंबी कतारें हैं  लेकिन डाॅक्टर नहीं हैं। ऐसे में प्रदेश का स्वास्थय महकमा आखिर कैसे चलेगा । 


  आप प्रवक्ता ने कहा,अगर सरकार को लगता है कि वाकई में प्रदेश की स्वास्थय सेवाएं बिल्कुल ठीक हैं तो उनको इन तस्वीरों को देख कर शर्म आनी चाहिए क्यूं इतने साल बीत जाने के बाद भी आज तक हालात सुधार नहीं पाए और उत्तराखंड की मां,बहनों को ऐसे हालात में मरने को छोड़ दिया है जिसका आप विरोध करती है । इसके अलावा आप के उत्तराखंड में सत्ता में आते ही स्वास्थ्य सेवाओं में अभूतपूर्व बदलाव की गारंटी देती है जैसे बदलाव आप ने दिल्ली में किया।

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